यह कहानी है विषाणु और विज्ञान की

यह कहानी है विषाणु और विज्ञान की इस समय सम्पूर्ण विश्व एक अदृश्य मौत के खौफ़ के साये में जी रहा है। दुनिया भर में 4,820,959 से अधिक लोग संक्रमित हैं व एक अनुमान है कि 3,188,765 से ज्यादा लोगों की जान ले चुका है एक वायरस जिसे नाम दिया गया है कोविड-19 या कोरोना।…

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लॉकडाउन और कोरोना- वारियर्स की चुनौतियां

लॉकडाउन और कोरोना- वारियर्स की चुनौतियां कोरोना वायरस का संक्रमण-काल स्वयं में एक स्थैतिक परिवर्तक (static variable) है, जिसके सापेक्ष ‘जनता’ और ‘कोरोना वारियर्स’ के संकटों और चुनौतियों को समझना मेरे इस लेख का मुद्दा है। मनुष्य को किसी भी तरह की यथास्थिति बहुत भाती है। हम अलग-अलग खेमों में चाहे जितने भी विरोध, प्रतिवाद…

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मजबूत भारत का मजबूर मजदूर

मजबूत भारत मे मजबूर मजदूर प्रत्येक नेता का एक चेहरा है, प्रत्येक पूंजीपति का भी एक चेहरा है। फ़िल्मी नायक नायिका तो हैं ही सिर्फ चेहरे। और तो और प्रत्येक मुल्क का भी एक चेहरा होता है। अब चेहरे हैं तो चेहरे का कोई भाव भी होगा। भाव मतलब भाव भंगिमा और भाव मतलब मूल्य।…

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हम तैयार हैं

हम तैयार हैँ सब ठीक ही चल रहा था बस छोटे मोटे उतार – चढ़ाव थे ज़िंदगी गुज़र रही थी कुछ लंबे , कुछ निकट पड़ाव थे कि अचानक सब जम सा गया जीवन का रेला कुछ थम सा गया सब ठिठक गये कुछ सिहर भी गये ये आखिर क्या हो रहा है पृथ्वी खुलकर…

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स्वतः एक बदलाव

स्वतः एक बदलाव आज पूरा विश्व कोरोना की महामारी से त्रस्त है। दुनियाभर को पीड़ित करने वाला कोरोना वायरस प्रकृति से ‘जूनेटिक’ है। इसका मतलब यह है कि यह जानवर से मनुष्यों में फैलता है लेकिन कोविड 19 जैसे कुछ कोरोना वायरस मनुष्यों से मनुष्यों में फैलते हैं। कोरोना एक खास प्रकार का वायरस है…

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बदलाव बचाव के लिए

बदलाव बचाव के लिए हर जगह कोरोना वायरस का ही नाम है। इसकी अभी कोई भी दवाई नहीं इजाद की गई है ।पहले भी वायरस हुआ करते थे। कुछ मजबूत वायरस जैसे कि चिकन पॉक्स और पोलियो की हुए हैं जिन्हें खत्म करने में सालों लग गए और उनकी वैक्सीनेशन तैयार हो पाई। इसी तरह…

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दुख के बादल

दुःख के बादल कोरोना काल चल रहा था।रीमा भी लॉकडाउन का बहुत अच्छी तरह से पालन कर रही थी। लॉकडाउन को चलते दो महीने हो चुके थे।रीमा ने बिल्कुल भी हार नहीं मानी थी।शुरु-शुरु में विचलित जरूर हुई थी,जब टेलीविजन मर मरने वालों को संख्या देखती थी। लॉकडाउन में रीमा ने वो सब काम किए…

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कोरोना ने सिखाया : धर्म का सही मर्म

कोरोना ने सिखाया : धर्म का सही मर्म कार्ल मार्क्स ने कहा था कि धर्म एक अफीम है । आज कोरोना काल जैसी विभीषिका और महामारी के दौर में भी कुछ लोगों ने धर्म की ऐसी व्याख्या और ऐसा अनुपालन किया है कि पुन: एक बार यह सोचने की जरूरत आन पड़ी है कि धर्म…

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लॉकडाउन और शिक्षण समाज

लॉकडाउन और शिक्षण समाज बात उन दिनों की है जब समपूर्ण संसार में हड़कंप मचा था,त्राहिमाम की वस्तु स्थिति थी जीवन चक्र जैसे रूक सा गया था।एक अंजान अदृश्य शत्रु के भय से और इस भय से उपजा जो रक्षात्मक उपाय था उसे लॉकडाउन की संज्ञा दी गई।क्या विद्यालय क्या देवालय सब जगह बस ताले…

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वन मोर लॉकडाउन

वन मोर लॉकडाउन युद्ध और महामारी, अकाल और भुखमरी ने हमें कई बार ऐसे स्तर पर ला खड़ा किया है जहां आकर इसके आगे जीवन का मतलब ही परिवर्तित हो जाता है। मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है और ऐसे समय में उसकी सामाजिकता ही विमुख हो जाती है। उसके सारे क्रिया कलाप एक एक कर…

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