सूर्योपासना का महापर्व: लोकपर्व छठ

सूर्योपासना का महापर्व: लोकपर्व छठ आस्था की भावभूमि भारत, जहाँ संस्कृतियों की महानदी आकर एकाकार हो जाती है, जहाँ जीवन त्योहारों, लोकपर्वों, परंपराओं की रंगोली से सदैव सुशोभित होता रहता है, ऐसे’ विविधता में एकता ‘ वाले देश की अपनी विशिष्टता है- विविध प्रांतों की अपनी-अपनी क्षेत्रीय संस्कृति, उस संस्कृति के अनुरूप मनाए जाने वाले…

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झूठ झूठ और झूठ-झूठ के माध्यम से सच की तलाश

झूठ झूठ और झूठ-झूठ के माध्यम से सच की तलाश ऐसा बहुत कम देखने को मिलता है कि कोई कवि या कवयित्री एक ही विषय को लेकर एक पूरा संग्रह ही रच डाले। दिव्या माथुर इस माने में एक अपवाद मानी जा सकती हैं, जिन्होंने ‘ख़याल तेरा’, ‘रेत का लिखा’, ‘11 सितम्बर – सपनों की…

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बेटी

बेटी बेटे बेटी के मसलों ‌को,कब तक उलझाओगे प्यारे रिश्तों को कब तक भरमाओगे। अनमोल हैं माता पिता ‌के दोनों समाज,कब तक भ्रम फैलाओगे। श्री रूप धर आई बेटियाँ सरस्वती बन पधारी बेटियाँ अपनी उपस्थिति से घर को महकाती हैं जानकी की अवतार हैं बेटियाँ। संस्कृतियों का संगम हैं ये संस्कारों की धरोहर हैं ये…

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स्तन कैंसर-जागरूकता ही बचाव है

स्तन कैंसर-जागरूकता ही बचाव है स्तन कैंसर दुनिया में महिलाओ में होने वाला सबसे आम या कॉमन कैंसर है। “आंखों को वही दिखाई देता है जो दिमाग को पता हो” सबसे पहले आप लोगों को बताना चाहूंगी कि स्तन कैंसर स्तन के कोशिकाओं और टिश्यू में असामान्य अनियंत्रित वृद्धि को कहते हैं। हमारे देश में…

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विरोधाभास की विलक्षणता: दिव्या माथुर

विरोधाभास की विलक्षणता: दिव्या माथुर जब पहली बार वातायन से जुड़ने वाली थी तो दिव्या जी से बात हुई, शब्दों में खरापन और स्नेह दोनों एक साथ थे, और ऐसा बहुत कम होता है।वैसे दिव्या जी के कई गुण हैं जो परस्पर विरोधाभास लिए प्रतीत होते हैं पर बहुत ही सरलता से उनमें समाहित हैं,चाहे…

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कोरोना की मार और 15 अगस्त

कोरोना की मार और 15 अगस्त 15 अगस्त … स्वतंत्रता-दिवस …खुशी और आनंद का दिवस…अंग्रेज़ी हुकूमत से भारत की आज़ादी का, बंधन-मुक्त होने का दिवस…… मुझे याद आते हैं, मेरे बचपन के दिन.. जब मैं स्कूल में थी और 15 अगस्त का दिन आता था… वह साठ का दशक था.. आज़ादी मिले चन्द साल ही…

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Invocation

Invocation To You, Our Lady of life The distinct You bridge the hearts of our world You deceive the sun not to set to offer a heavenly embrace Generously you endure the pain Wisely You dominate bright horizons Your tears become earth’s breath Your hands are solid rocks You scatter clouds in your passage Oh,…

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सुंदर हाथ

सुंदर हाथ “मांँ दे ना अपनी हंसुली, उसे तोड़ कर तुम्हारी बहू के हाथ की चुड़ियां बनवा दूंगा…” सुनील ने गुटखा थूकते हुए कहा। “ऐसा कैसे चलेगा, कब तक तू मुझसे पैसे मांग – मांग कर अपने शौक पूरे करता रहेगा..” मालती देवी ने खीझते हुए कहा। “क्या करूं मांँ, नौकरी तो मिलने से रही,…

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अयोध्या- धार्मिक आस्थाओं का केंद्र

अयोध्या- धार्मिक आस्थाओं का केंद्र मानव सभ्यता के विकास के साथ साथ जीवन पद्धति में भी अनेक परिवर्तन आते रहे। पाषाण युग से वर्तमान आधुनिक कही जाने वाली इक्कीसवीं सदी तक मनुष्य ने अपने खान पान, आचार विचार, रहन सहन, वेशभूषा में भी बहुत बदलाव किए हैं। जिस नदी के जल से उसकी तृषा शांत…

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