प्रकृति की पुकार
प्रकृति की पुकार प्रकृति के रूप में मिला है हमें अनमोल उपहार पर ना रख पाये हम उसे मूलरूप में बरकरार कराह रही प्रकृति,लगा रही मानव से ये गुहार ना करो मुझे बंजर औ प्रदूषित,बंद करो अपने अत्याचार करती है जब वो प्राकृतिक आपदाओं के रूप में गुस्से का इज़हार मच जाता है चहुं ओर…