ऊंगली पकड़ कर तुमने….

ऊंगली पकड़ कर तुमने…. साठ के दशक में जन्‍में हम सब एक ऐसी बिरादरी का हिस्‍सा हैं, जो कि न बहुत पुरानी सोच के मोहताज हैं, और न ही बहुत नई तड़क-भड़क में विश्‍वास रखते हैं। और हमारी ऐसी सोच को बनाया, सजाया संवारा और एक रूप रेखा दी है हमारे माता-पिता ने। दहलीज के…

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सूरज की ऊर्जा.. बरगद की छांव .. मेरे पापा

सूरज की ऊर्जा.. बरगद की छांव .. मेरे पापा सूरज कभी भी अपने आने का शोर नहीं मचाता, वो तो चुपचाप पूर्व दिशा में प्रकट हो जाता है और उसी से सम्पूर्ण विश्व ऊर्जावान हो उठता है। विशाल बरगद का वृक्ष कभी भी शोर मचा कर अपनी विशालता का बखान नहीं करता, उसकी उपस्थिति ही…

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ये विषाणु

ये विषाणु कुछ कह रहा है ये विषाणु : मैं कारण भी परिणाम भी, बरसों से धुंधलाये नयनों से जो आज हुआ है नज़ारा, निर्मल नीलाम्बर , सुंदर प्यारा, दिए जा रहा प्रमाण भी। जीवन के पांचों मूल तत्वों से किया कितना ही खिलवाड़, बन्द कर दिया सघन चिकित्सालय के वार्ड। पिता अंतरिक्ष को ही…

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पर्यावरण का करें ख्याल

पर्यावरण का करें ख्याल दुनिया भर में 5 जून का दिन विश्व पर्यावरण दिवस के रूप में निर्धारित है। 1973 में पहली बार अमेरिका में विश्व पर्यावरण दिवस के रूप में मनाया गया था। इस वर्ष भी हर वर्ष की तरह पर्यावरण दिवस पर दो-चार पेड़ लगाकर हम अपने दायित्व को पूरा कर लेंगे। लेकिन…

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एक पेड़ लगाएं

एक पेड़ लगाएं जीवन निर्भर जिस प्रकृति पर उसका ही किया अपमान देखो मानव तुमने कैसा किया अपना ही नुकसान विपदा का कारण तुम हो,तुम ही हो वह मनुष्य महान प्रकृति से किया छेड़छाड़ अब क्यों दे वो तुम्हें मान अब तो समझो प्रकृति का संदेश तुमने किया गलत है काम मानव अब तो बदलो…

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प्रकृति की पुकार

प्रकृति की पुकार प्रकृति के रूप में मिला है हमें अनमोल उपहार पर ना रख पाये हम उसे मूलरूप में बरकरार कराह रही प्रकृति,लगा रही मानव से ये गुहार ना करो मुझे बंजर औ प्रदूषित,बंद करो अपने अत्याचार करती है जब वो प्राकृतिक आपदाओं के रूप में गुस्से का इज़हार मच जाता है चहुं ओर…

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प्रकृति हमारी अस्तित्व

प्रकृति हमारी अस्तित्व प्रकृति को प्यार दें स्नेह और दुलार दें, पूजा करें इसकी और तन मन भी वार दें! जिसने केवल आजतक देना ही जाना है, हम सभी मानव को संतान सी माना है!! फिर क्यूं हम भी पीछे हों अपने उदगार में, प्रकृति सी सुंदरता नहीं कहीं संसार में! उसके ही आंचल में…

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पीपल का पेड़

पीपल का पेड़ पीपल का पेड़, टीलेके उस पार खड़ा , वह पीपल का पेड़, जिसकी पत्तियां सुबह की रोशनी में, पारे सी झिलमिलाती हैं, नितांत अपना सा लगता है, जिसके सूखे, लरजते पत्तों में, नजाने कितनी यादें छिपी हैं, यह पेड़ हमारी आस्था व् विश्वास का प्रतीक ही नहीं, किसी बूढ़े, ज्ञानी, तपस्वी सा…

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