एक पाती पिता के नाम

एक पाती पिता के नाम देखा है आपने कभी? फल-भार से युक्त किसी विटप को, मीठे बीज-कोशों को अपने, जो भूमि पर बिखेरकर, खुश होता है बच्चों को चखता देख। उसके पल्लव बयार संग डोल, दर्शा रहे हों मानो उसी आमोद को। उसी पुष्पद की तरह विशाल, छायादार छवि पिता की , जिसकी छाँँव तले…

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पिताजी

पिताजी घर का सारा प्यार पिताजी बच्चों का संसार पिताजी।। जीवन है इक उलझी नैय्या नैय्या की पतवार पिताजी।। मेरी ख़्वाहिश के कुछ-कुछ पर देते सब कुछ वार पिताजी।। जब भी आए ग़म के तूफ़ां बन जाते दीवार पिताजी।। माँ है देवी माना जग ने ईश्वर का अवतार पिताजी।। ‘गुंजन’ डरना क्या मुश्क़िल से जब…

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पिता

पिता यह तुम्हारा स्नेह ही तो था, जो संघर्षों के जंगल में, किसी बासंती बयार की तरह, सहलाता रहा मेरे शूल चुभे पांवों को. फूलों की सेज न सही, हरियाली तो थी मेरे सामने .. खुले आकाश की तरह. कुछ सपने थे इन्द्रधनुषी, .. कल्पना के पंखों पर तैरते हुए.. किसी अज्ञात मंजिल की तलाश…

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बदलते स्वरूप में आज के पिता

बदलते स्वरूप में आज के पिता आज फादर्स डे है। माँ और पिता ये दोनों ही रिश्ते समाज में सर्वोपरि हैं। इन रिश्तों का कोई मोल नहीं है। पिता द्वारा अपने बच्चों के प्रति प्रेम का इज़हार कई तरीकों से किया जाता है, पर बेटों-बेटियों द्वारा पिता के प्रति इज़हार का यह दिवस अनूठा है।…

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पहली कविता

पहली कविता बचपन के भावाें को सहेज अपने नन्हें हाथाें से लिखी मैने तितलियाें पर एक कविता । खुशी से थिरकती ,उछलती पहुॅंची पिता के पास कहा- पिता देखाे मैंने की है रचना लिखी है मैने कविता , पिता ने हॅंसकर माथा चूम लिया कहा,मेरी लाड़ली है यह मेरी प्यारी सुन्दर कविता । यह सुन…

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एक खत मेरे डैडी के नाम

एक खत मेरे डैडी के नाम लोग कह रहें हैं आज पिता दिवस है आज बेशक आप हमारे बीच शारीरिक रूप से नहीं आप तना बन कर रहे मेरे जीवन वृक्ष का वो सुबह पार्क से चमेली के फूलों को तोड कर लाना और मेरे सिराहाने रख उनकी खुशबू मुझे जागने पर मजबूर कर देना…

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सूर्यग्रहण

सूर्य ग्रहण आषाढ़ कृष्ण पक्ष अमावस्या वार रविवार (21 जून 2020) को (चूड़ामणि योग) कंकणाकृती सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई देगा एवं यह मध्य अफ्रीका, दक्षिणी प्रशांत महासागर, हिंद महासागर, चीन ताइवान, अरब क्षेत्रों में, ओमान, पाकिस्तान आदि क्षेत्रों में भी देखने को मिलेगा यह भारत के शहर चमोली देहरादून जोशीमठ कुरुक्षेत्र सिरसा सूरतगढ़ आदि…

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बापू

बापू तुम्हारे वजूद से थी मेरे गुलिस्ताँ में रौनकें सारी, तुम्हारे बगैर इस दुनिया को मै वीरान लिखती हूँ …..बापू सभी रिश्तों पर खुब लिखा जाता हैं माँ पर दोस्ती पर ,आज मै अपने पापा के बाते  लिखूंगी, मै अपने पापा को बापू के सम्बोधन से पुकारती थी,जहाँ सब डैड कहते मै उन्हें बापू कहती…

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पापा की तरह

पापा की तरह नहीं बन पाती कलाकार पापा की तरह फटी जेब में भी जो मुस्कुराहटें संभाल लाते थे परेशानियों के गद्दे पर भी जो रेशमी चादर बिछाते थे हर ईंट में खुद को ढाल घर हमारे लिए बनाते थे । नहीं आता हुनर पापा की तरह पसीने से तर – बतर जो जेठ की…

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पिता

पिता देखा है बचपन से कैसे अपनी हर ख्वाहिश को छिपा कर हम भाई बहन को दी हर सुख की छांव कभी न रुके न थके कभी न कहीं गए कभी न कोई छुट्टी बस काम और बस काम अच्छी से अच्छी शिक्षा खान पान ,पहनावा रखा हम भाई बहन का कर खुद के लिए…

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