कभी देखा है किसी स्त्री को कर्ण होते..!!

कभी देखा है किसी स्त्री को कर्ण होते..!! कभी देखा है किसी स्त्री को कर्ण होते..!! कानो में कुंडल जिस्म पर कवच धारण किए हुए..??? संवेदनाओं का लक्ष्य भेद कुण्डलों सा सामाजिक विचारों को धारण करने की बातें।हाथों में मर्यादाओं की चूड़ियाँ, माथे पर भव्य सुर्ख लाल सौभाग्य की बड़ी सी बिंदी मानो सूर्य को…

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1962 के अविस्मरणीय यादें

1962 के अविस्मरणीय यादें वर्तमान में हिन्दुस्तान बहुत सारी मुश्किलों और चुनौतियों से जूझ रहा है।हमारा देश इस मुश्किल घड़ी में सिर्फ एकता, अखंडता, सतर्कता और जागरूकता से ही विजयी होगा। ऐसा ही मुश्किल समय 1962 मे भारत चीन युद्ध के दौरान आया था जिसका हम हिंदुस्तानियों ने एकता बनाए रखते हुए डट कर मुकाबला…

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सावन बदला अपना स्वरूप ?

सावन बदला अपना स्वरूप ? काले काले बदर धुमड घुमड कर आए वर्षा रानी भी जमकर बरसी बिजली कौन्धी और जोरों की कड़की भी, सावन न्यौता जो लेकर आई मस्ती की,झूमने की भींगने और भिगाने की रूठने की, मनाने की सपनाने की ,अलसाने की। नहीं, सावन नहीं बदला अपना स्वरूप, हां, बदला झूमने का रूप…

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डॉक्टर-एक फरिश्ता

डॉक्टर-एक फरिश्ता डॉक्टर धरती का एक फरिश्ता है, मरीजों का दिल से एक रिश्ता है, मरीजों का नब्ज देख भांप वो लेता, हिम्मत, हौसला बुलंद रखता, हरदम दिमाग से काम वो लेता, बचाकर जीवन वो कितनों की, बनाया सबसे एक रिश्ता है, वो !!!!! एक डॉक्टर नहीं फरिश्ता है, कितने मरीजों को जीवन दान दिया,…

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प्रत्यक्ष भगवान

प्रत्यक्ष भगवान ईश्वर को किया जा सकता है महसूस मगर डाँक्टर जब देता है मरीज को जीवन दान तो दर्शन होते हैं प्रत्यक्ष भगवान के जो न बंधा होता है किसी पंथ/जाति/रंग हर सीमा से दूर मानवता का पोषक सेवा का अवतार मान/अपमान की परवाह किये बिना कर्तव्य के पथ पर अग्रसर सोनिया अक्स समर्पित…

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अनावरण/अन्वेलिंग

अनावरण/अन्वेलिंग यह कहानी सच्ची घटनायों का एक समूह, जहां कुछ भी काल्पनिक नहीं है,न नाम,न जगह और न ही वर्णित घटनायें। एक कहानी बोइसर से शुरू करते है जो महाराष्ट्र का सबसे बड़ा औद्यौगिक छेत्र है। 18 माई को गोरेगांव में काम करने वाला एक टेक्नीशियन,अरूण मौर्य (29)को खून की उलटी हुई।पड़ोसियों की मदद से…

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Father’s Day

मेरे आदर्श और मैं उनकी छाया पापा के बारे में मैं क्या कहूं। दुनिया के सबसे अच्छे पिता थे। मेरे सबसे अच्छे मित्र सबसे अच्छे सलाहकार और सबसे अच्छे मार्गदर्शक थे। मैं जो कुछ भी हूं उन्हीं के कारण हूँ।पिता जी की सबसे अच्छी बात थी कि वह अपने बच्चों के साथ समय बिताते थे…

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छत से छाये पिता

छत से छाये पिता माँ के आशीष-फूल में तुम मनका से जड़ते रहे पिता मौसम की बौछारों में भी तुम छत से छाये रहे पिता रोके थे अपने दम-खम से दिन के सब झंझावातों को गिरने से बचा लिया हरदम तुमने सपनों के पातों को विपरीत दिशा से धूलों की रोकते रहते आँधियों को जगते…

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भागलपुर मेरी यादों में

भागलपुर मेरी यादों में गंगा किनारे बसा भागलपुर बिहार का एक साधारण सा शहर पर मेरे लिए बेहद महत्व पूर्ण …..मेरे पापा माँ की शादी भागलपुर में १९५९ जून में हुई थी जब नाना वहाँ मजिस्ट्रेट थे .पापा की पहली नौकरी टी एन बी कोलेज भागलपुर में ही हुई और उनकी पहली संतान यानि मेरा…

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पिता

पिता जो पीता है बच्चों के लिए दुख और तकलीफ़ जो आकंठ डूबा होता है स्नेह से, मगर मौन शांत रहकर सींचता है अपने वृक्ष – बेलों को… पिता जो पी लेता है हर विषम परिस्थितियों के विष को मात्र अपनी संतान को अमृत की जीवनदायिनी घूंट देने के लिए… पिता खुद लड़खड़ाता तो है…

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