लौटा दो बचपन

लौटा दो बचपन डंगा डोली पकड़म पकड़ाई तू भाग कर छिप जा मैं आई। आओ कबड्डी और खो-खो खेलें नदी पहाड़ के भी मजे ले लें। पोसंपा भई पोसंपा डाकिए ने क्या किया। सौ रुपए की घड़ी चुराई अब तो जेल में जाना पड़ेगा। ऐसा कौन सा बच्चा जिसने “विष अमृत” न खेला होगा। लूडो…

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मैं हूँ ना

मै हूँ ना हाँ, जिंदगी सिर्फ यादों का खेल ही तो है। एक उम्र के बाद ऐसा लगने लगता है जैसे जीने के लिए अब ज्यादा कुछ बचा ही नहीं ।बस अतीत की लम्बी गहरी सुरंग जैसी राहों पर मन भटकता रहता है हर-पल, हरदम । तनु के जीवन में भी ऐसा ही कुछ धा।…

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युद्ध लड़ रही हैं लड़कियाँ

युद्ध लड़ रही हैं लड़कियाँ कविता संग्रह- युद्ध लड़ रही हैं लड़कियाँ कवि-वीरेंदर भाटिया प्रकाशक- संभव प्रकाशक, प्रेमचंद्र पुस्तकालय तितरम, कैथल-136027 (हरियाणा) प्रथम संस्करण- 2020 स्वतंत्र सदी में युद्ध लड़ रही स्त्रियाँ : पर-तंत्रता यह समय पुस्तक समीक्षा का एक ऐसा दौर है जहां हर समीक्षाकार व्यक्तिगत तौर पर ध्यान रखकर समीक्षा करने पर आमादा…

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महामारी में भी ओछी राजनीति

महामारी में भी ओछी राजनीति एक बड़े शायर का शेर है लू भी चलती थी तो बादे-शबा कहते थे, पांव फैलाये अंधेरो को दिया कहते थे। उनका अंजाम तुझे याद नही है शायद, और भी लोग थे जो खुद को खुदा कहते थे।। महाभारत काल में अखंड भारत के मुख्यत: 16 महाजनपदों कुरु, पंचाल, शूरसेन,…

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