वह अजीब स्त्री

  वह अजीब स्त्री लोग बताते हैं कि जवानी में वह बहुत सुन्दर स्त्री थी। हर कोई पा लेने की जिद के साथ उसके पीछे लगा था। लेकिन शादी उसने एक बहुत साधारण इंसान से की जिसका ना धर्म मेल खाता था, ना कल्चर। वह सुन्दर भी खास नहीं था और कमाता भी खास नहीं…

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फिर से वहीं

फिर से वहीं बैंक खुलने का समय तो दस बजे है लेकिन छोटे से गाँव के बैंक में कौन देखता है। आधा-एक घंटा देरी तो मामूली-सी बात है। अभी चार छह लोग आ गए हैं। बिनय है, उसे अपनी दुकान के लिए लोन चाहिए। आशा देवी हैं, जिन्‍हें सिलाई मशीन खरीदने के लिए लोन चाहिए…

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जोखू जिन्दा है

जोखू जिन्दा है अभिजात्य वर्ग का एक युवक ट्रेन में यात्रा कर रहा था। मुंशी प्रेमचंद की कहानियों की किताब में रमा वह “ठाकुर का कुंआ” कहानी पर अटक गया। कहानी पढ़ते-पढ़ते वह असहज होने लगा। गंगी और जोखू उसके भीतर उतरते चले गए। गले मे खुश्की भरने लगी। उसने बैग में पानी की बोतल…

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सतह की धूप

सतह की धूप नीरजा फूले नहीं समा रही थी। चारों तरफ बधाईयों का तांता लगा हुआ था। ममी – पापा उसे गले लगा के बैठे थे। पूरे जिले में सबसे अच्‍छे नम्‍बर लाकर वह पास हुई थी बारहवीं क्‍लास में। टेबल पर लड्डू के डिब्‍बे रखे थे। किसी ने गले में गेंदे की माला डाल…

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फूल का इंतजार

फूल का इंतजार आज फूल के कदम जमीन पर नहीं पड़ रहे थे | मिट्टी और ईट के उसके कच्चे पक्के घर में खुशियाँ इस तरह उतर आईं थीं | मानो सितारों की जगमगाहट उतर कर जमीन पर आ गई हो | हमेशा चिढ़ी सी रहने वाली दादी ने भी आज उसके गाल को चूमकर…

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रानी की गुड़िया

रानी की गुड़िया “अम्मा मेरी गुड़िया गिर गई । अम्मा ट्रक रुकवाओ ना ।” नन्ही रानी बिलखती रही पर ट्रक चल चुका था । लॉक डाउन में पाँच दिन तक रानी अपनी अम्मा के कंधे पर बैठकर जयपुर से आगरा पहुंची थी। जब अम्मा थक जाती तो उसे पहिए वाले सूटकेस पर बिठा देती और…

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सुंदर हाथ

सुंदर हाथ “मांँ दे ना अपनी हंसुली, उसे तोड़ कर तुम्हारी बहू के हाथ की चुड़ियां बनवा दूंगा…” सुनील ने गुटखा थूकते हुए कहा। “ऐसा कैसे चलेगा, कब तक तू मुझसे पैसे मांग – मांग कर अपने शौक पूरे करता रहेगा..” मालती देवी ने खीझते हुए कहा। “क्या करूं मांँ, नौकरी तो मिलने से रही,…

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उम्मीदें इन्द्रधनुषी हुईं

उम्मीदें इन्द्रधनुषी हुईं एक एक अजीब सी सिरहन हुई ,और गुदगुदी भी, उस दिन शिंदे की तस्वीर देखी अखबारों में।गले में लालचारखाना गमछा,पाँव में बूढे चप्पल ,गोदी में , हरी साड़ी ब्लाउज में,चलने में लाचार बूढ़ी मौसी।बीवी,दो बच्चे और एक अंधी बहन का भार,फोटो के नीचे का दो लाइन वाला कैप्शन ढो रहा है।पीछे लम्बा…

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वर्तमान साहित्य में स्त्री उत्थान क्यों और कैसे ?

  वर्तमान साहित्य में स्त्री उत्थान क्यों और कैसे ? साहित्य के संदर्भ में चाहे अतीत हो या वर्तमान अथवा भविष्य। उत्पीड़ा की एक त्रासदी होती है। अतीत हमेशा भुक्तभोगी पीड़ाओं से गुज़रता है, तो वर्तमान आशादायी भविष्य की ओर संकेत करता है। पीड़ा और त्रासदी में कोई परिवर्तन नहीं होता, केवल समय गतिशील होता…

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ग्रामीण परिवेश और मुंशी प्रेमचंद

ग्रामीण परिवेश और मुंशी प्रेमचंद गाँव के सजीव, जीवंत और सामयिक चित्रण करने में कथा और उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद की कोई सानी नहीं है। उस समय के परिवेश में गाँव एक अभिन्‍न अंग था व्यक्ति और समाज के जीवन में। कभी-कभी लगता है कि घड़ी को मुंशी प्रेमचंद के समय में मोड़ दिया जाए,…

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