नवरंग

नवरंग बरसात पर लिखी गई होगी कविता और प्रेमिका के बिछोह के गीत, पर गाँव में तो बरसात बड़ी मुसीबत है। हर तरफ पानी, कीचड़। रास्ते बंद। ना बिजली ना कहीं आना-जाना। तीन किलोमीटर चलकर जाओ तब पक्‍की सड़क मिलती है। गाँव की कच्ची पगडंडी को पकड़कर उसने तो बारहवीं क्लास तक पढ़ लिया। भैया…

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ग्रामीण संवेदनाओं का कुशल चितेरा मुंशी प्रेमचंद !!

ग्रामीण संवेदनाओं का कुशल चितेरा मुंशी प्रेमचंद !! साहित्य का उद्देश्य केवल लोगों को संदेश देना नहीं होता है। बल्कि श्रेष्ठ साहित्य तो अपने युग का जीता-जागता दस्तावेज होता है। उसमें उस कालखंड की समस्याओं, विशेषताओं, राजनीतिक, सांस्कृतिक एवं सामाजिक परिस्थितियों का विशद वर्णन होता है जिसे पढ़ कर पाठकों की अन्तःचेतना में एक नई…

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दहलीज

‘दहलीज’ लगभग बाइस-तेईस बरस की कमली घरों में झाड़ू-पोछा और बर्तन धोने का काम करती है। पति मजदूर है और सात बरस से कम उम्र के चार बच्चे थे दोनों के। उनमें से दो बड़े बच्चे स्कूल जाते हैं। तीसरी और चौथी बच्चियां अभी बहुत छोटी हैं। उन्हें घर पर अकेला छोड़ना सहज न था…

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सपनों के आगे

सपनों के आगे सफलता या समस्‍या – दोनों एक ही सिक्‍के के दो पहलू हैं शायद। और दोनों ही हमारे कर्मों के फल हैं। कर्म पर निर्भर होता है कि हम खुशियां लाते हैं या फिर और कुछ। कर्म का मतलब है कि अपने आप के लिए तुम ही उत्‍तरदायी हो। कृष्‍ण ने तो अर्जुन…

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रिश्ता

रिश्ता एक तेज हवा के झोंके की तरह उनके जीवन में आई थी अनुष्का | एकदम अल्लढ मदमस्त नवयौवना | चार्वाक दर्शन को जीवन का आधार मनाने वाली | सीधे-साधे उत्कर्ष के जीवन में एक तूफान बनकर कुछ तीनों के लिए आई और उसके सम्पूर्ण जीवन को है बदलकर रख दिया | उत्कर्ष उठो! कितना…

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साक्षात्कार

वरिष्ठ कवि एवं शिक्षाविद डा.अरुण सज्जन की षष्ठी पूर्ति के अवसर पर लिया गया साक्षात्कार भगवती चरण वर्मा की काव्य चेतना शोध ग्रंथ, नीड़ से क्षितिज तक, संस्पर्श, उजास जैसे काव्य संग्रह, अक्षरों के इंद्रधनुष निबंध संग्रह जैसी कई पुस्तकों के रचयिता और कला संस्कृति, काव्य पीयूष, रामवृक्ष बेनीपुरी साहित्य अलंकरण सम्मान, बिहार हिंदी साहित्य…

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प्रेमचंद की कहानियों का ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य

प्रेमचंद की कहानियों का ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य प्रेमचंद एक ऐसे लेखक थे जिन्होंने हिंदी भाषा में ३०० लघु कहानियां, आत्मकथा, नाटक, पत्रिकाओं में लेख ,विदेशी साहित्यकारों की कृतियों का हिंदी रूपांतर के माध्यम से आम जान जीवन को उस काल में छू लिया जब देश उपनिवेशवाद और अंग्रेजी शासन से ग्रसित था। डेविड क्रेग (‘नॉवेल्स ऑफ…

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माँ! अब मैं जान गई हूँ

माँ! अब मैं जान गई हूँ नन्ही-सी मुन्नी उम्र में छोटी है तो क्या हुआ चौदह-पंद्रह साल की छोटी-सी उम्र में उसको प्यार,लड़ाई और गालीगलौज़ सब समझ आता है। दिल्ली की एक गन्दी बस्ती में छोटी-सी खोली है उनकी। उस खोली में रहने वाले पांच प्राणी, माँ-बाबा,मुन्नी और उसके दो छोटे भाई नंदू और छोटू|…

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नर्तक

नर्तक वह मस्त होकर नाच रहा था। वह नटुआ नाच का अभ्यस्त लगता था. उसने हरे रंग की काँछ दार धोती और सिर पर पगड़ी पहनी थी जिसमें हरे तोते के पंख खोंसे गए थे। उसके शरीर का ऊपरी भाग नंगा था, लेकिन रंग बिरंगी मोतियों की माला और फूलों की माला से वह कुछ…

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हामिद के बहाने आज का विद्रूप समाज !

हामिद के बहाने आज का विद्रूप समाज !! जब भी टी वी पर मैं हवेल्स केबल का विज्ञापन देखता हूँ, जिसमे माँ का हाँथ रात का खाना(रोटी) बनाने के क्रम में जलने जैसा होता है, और पास ही खाने के लिए बैठा एक नन्हा सा बालक इसे देखता है….अनुभव करता है और अचानक उठ कर…

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