आज भी जिंदा है होरी

आज भी जिंदा है होरी त्रासदी सामान्य मनुष्य के जीवन का एक अनिवार्य अंग है। सुख और दुख दोनों ही जीवन के दो पहलू हैं। आशावादी कलाकार जीवन के दुख में क्षणों में भी आने वाले सुख की किरण देखता है और निराशावादी इस द्विधा में जीवन में दुखाक्रांत क्षणों को ही देखता है और…

Read More

द्विचाली

द्विचाली उठ जाग मुसाफिर भोर भयो अब रैन कहाँ जो सोवत है………खर्र खरर्र इसी गाने को गुनगुनाते हुए शिक्षिका सावित्री शीक के झाड़ू से झाड़ू लगा रही थी जहाँ उसके साथ संगत कर रहे थे शीक के झाड़ू की खरर्र खर्र चिड़ये चुनमुन की चहचहाहट और खेतों की ओर जाते गोधन की टनर् टनर् घंटी।…

Read More

प्रेमचंद का ‘नशा’

प्रेमचंद का ‘नशा’ यूँ तो प्रेमचंद की सारी कहानियां दिल को छू लेने वाली हैं.पर उनमें से एक जो मेरे दिल में गहरी उतरती है वह है उनकी उत्कृष्ट रचना ‘ नशा ‘. यह कहानी हमारे स्कूल के हिन्दी पाठ्यक्रम का एक हिस्सा थी औऱ उस उम्र में भी इसका मर्म मुझे झकझोर गया था….

Read More

मेरी प्रिय, प्रथमा

मेरी प्रिय, प्रथमा ” हमारी सभ्यता, साहित्य पर आधारित है और आज हम जो कुछ भी हैं, अपने साहित्य के बदौलत ही हैं।”- यह उद्गार है महान साहित्यकार प्रेमचंद का, जो उनकी रचनात्मक सजगता और संवेदनशील साहित्यिक प्रेम को दर्शाता है। प्रेमचंद हिंदी साहित्य का एक ऐसा नाम है, जिसने हिंदी कथा लेखन के संपूर्ण…

Read More

बहुमुखी प्रतिभा के धनी मुंशी प्रेमचंद

बहुमुखी प्रतिभा के धनी मुंशी प्रेमचंद सर्वाधिक लोकप्रिय उपन्यासकार, साहित्यकार, नाटककार और विचारक के रूप में सर्वाधिक जाना पहचाना नाम प्रेमचंद जी का है।इन्हें हिंदी और उर्दू के लोकप्रिय साहित्यकारों में जाना जाता है। आपका जन्म 31 जुलाई 1880 को बनारस शहर से चार मील दूर लमही गांव में हुआ था।आपका बचपन बहुत ही आर्थिक…

Read More

नवरंग

नवरंग बरसात पर लिखी गई होगी कविता और प्रेमिका के बिछोह के गीत, पर गाँव में तो बरसात बड़ी मुसीबत है। हर तरफ पानी, कीचड़। रास्ते बंद। ना बिजली ना कहीं आना-जाना। तीन किलोमीटर चलकर जाओ तब पक्‍की सड़क मिलती है। गाँव की कच्ची पगडंडी को पकड़कर उसने तो बारहवीं क्लास तक पढ़ लिया। भैया…

Read More

ग्रामीण संवेदनाओं का कुशल चितेरा मुंशी प्रेमचंद !!

ग्रामीण संवेदनाओं का कुशल चितेरा मुंशी प्रेमचंद !! साहित्य का उद्देश्य केवल लोगों को संदेश देना नहीं होता है। बल्कि श्रेष्ठ साहित्य तो अपने युग का जीता-जागता दस्तावेज होता है। उसमें उस कालखंड की समस्याओं, विशेषताओं, राजनीतिक, सांस्कृतिक एवं सामाजिक परिस्थितियों का विशद वर्णन होता है जिसे पढ़ कर पाठकों की अन्तःचेतना में एक नई…

Read More

दहलीज

‘दहलीज’ लगभग बाइस-तेईस बरस की कमली घरों में झाड़ू-पोछा और बर्तन धोने का काम करती है। पति मजदूर है और सात बरस से कम उम्र के चार बच्चे थे दोनों के। उनमें से दो बड़े बच्चे स्कूल जाते हैं। तीसरी और चौथी बच्चियां अभी बहुत छोटी हैं। उन्हें घर पर अकेला छोड़ना सहज न था…

Read More

सपनों के आगे

सपनों के आगे सफलता या समस्‍या – दोनों एक ही सिक्‍के के दो पहलू हैं शायद। और दोनों ही हमारे कर्मों के फल हैं। कर्म पर निर्भर होता है कि हम खुशियां लाते हैं या फिर और कुछ। कर्म का मतलब है कि अपने आप के लिए तुम ही उत्‍तरदायी हो। कृष्‍ण ने तो अर्जुन…

Read More

रिश्ता

रिश्ता एक तेज हवा के झोंके की तरह उनके जीवन में आई थी अनुष्का | एकदम अल्लढ मदमस्त नवयौवना | चार्वाक दर्शन को जीवन का आधार मनाने वाली | सीधे-साधे उत्कर्ष के जीवन में एक तूफान बनकर कुछ तीनों के लिए आई और उसके सम्पूर्ण जीवन को है बदलकर रख दिया | उत्कर्ष उठो! कितना…

Read More