सुहानी बारिश

सुहानी बारिश “मुनियाँ के दद्दा !…… सो गये का ?” पत्नी ने झिंझोड़ कर पूछा तो करवट ले कर उठते हुए रामदीन बोला …. “नहीं री नींद कहाँ आवेगी …. तीन दिनों से पानी पड़ रहो है ….. बच्चन के पेट में अन्न का दानों भी नहीं गयो । समझ नहीं आ रहो का करें”…

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भोर की प्रतीक्षा

भोर की प्रतीक्षा आज प्लेटफार्म पर कुछ ज्यादा ही भीड़ थी ,शायद कोई रैली जा रही थी ..पटना ,लोग दल के दल उमड़े चले आ रहे थे ,हाथों में झंडे ,छोटे बड़े झोले ,गठरियाँ लादे हुए …मुफ्त में यात्रा कर ,कुछ रूपये बचाने के लिए बेबस मजबूर लोग भी थे।तो कुछ ऐसे लोग भी थे…

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अहमियत

अहमियत नाजों से पली मधु को शादी से पहले इस बात की भनक तक न थी कि शादी के बाद जीवन में कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा l संयुक्त परिवार की बेटी मधु के आँखों में आँसू देख उसके बड़े ताऊ आसमान सिर पर उठा लेते थे l इसलिए परिवार के सभी बच्चे मधु…

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बड़ी बहू

बड़ी बहू “अरे सुनती हो अम्मा! सोनू मोनू के लिए बड़ा अच्छा रिश्ता मिल रहा है।” राम प्रसाद जी ने मां को बड़ी प्रसन्नता से बताया। उनका एक एक अंग उनकी प्रसन्नता को प्रकट कर रहा था। मां अपनी बहू को आंख के इशारे से पास में बुलाती हुई बोली,”अरे किसने बताया है रिश्ता और…

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नारी सशक्तिकरण का स्वरूप – “सौत”

नारी सशक्तिकरण का स्वरूप – “सौत” हिंदी साहित्य में जब भी कहानी की चर्चा होगी, वह मुंशी प्रेमचंद जी का नाम लिए बिना हमेशा अधूरी ही रहेगी। उनकी कहानियों में समाज के सामान्य वर्ग; जिनमें छोटे, दबे कुचले, सहमे और सताए लोगों से जुड़ी समस्याओं का विशेष स्थान रहा है। अपने जीवन-काल में जिस आर्थिक…

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आज भी जिंदा है होरी

आज भी जिंदा है होरी त्रासदी सामान्य मनुष्य के जीवन का एक अनिवार्य अंग है। सुख और दुख दोनों ही जीवन के दो पहलू हैं। आशावादी कलाकार जीवन के दुख में क्षणों में भी आने वाले सुख की किरण देखता है और निराशावादी इस द्विधा में जीवन में दुखाक्रांत क्षणों को ही देखता है और…

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द्विचाली

द्विचाली उठ जाग मुसाफिर भोर भयो अब रैन कहाँ जो सोवत है………खर्र खरर्र इसी गाने को गुनगुनाते हुए शिक्षिका सावित्री शीक के झाड़ू से झाड़ू लगा रही थी जहाँ उसके साथ संगत कर रहे थे शीक के झाड़ू की खरर्र खर्र चिड़ये चुनमुन की चहचहाहट और खेतों की ओर जाते गोधन की टनर् टनर् घंटी।…

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प्रेमचंद का ‘नशा’

प्रेमचंद का ‘नशा’ यूँ तो प्रेमचंद की सारी कहानियां दिल को छू लेने वाली हैं.पर उनमें से एक जो मेरे दिल में गहरी उतरती है वह है उनकी उत्कृष्ट रचना ‘ नशा ‘. यह कहानी हमारे स्कूल के हिन्दी पाठ्यक्रम का एक हिस्सा थी औऱ उस उम्र में भी इसका मर्म मुझे झकझोर गया था….

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मेरी प्रिय, प्रथमा

मेरी प्रिय, प्रथमा ” हमारी सभ्यता, साहित्य पर आधारित है और आज हम जो कुछ भी हैं, अपने साहित्य के बदौलत ही हैं।”- यह उद्गार है महान साहित्यकार प्रेमचंद का, जो उनकी रचनात्मक सजगता और संवेदनशील साहित्यिक प्रेम को दर्शाता है। प्रेमचंद हिंदी साहित्य का एक ऐसा नाम है, जिसने हिंदी कथा लेखन के संपूर्ण…

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बहुमुखी प्रतिभा के धनी मुंशी प्रेमचंद

बहुमुखी प्रतिभा के धनी मुंशी प्रेमचंद सर्वाधिक लोकप्रिय उपन्यासकार, साहित्यकार, नाटककार और विचारक के रूप में सर्वाधिक जाना पहचाना नाम प्रेमचंद जी का है।इन्हें हिंदी और उर्दू के लोकप्रिय साहित्यकारों में जाना जाता है। आपका जन्म 31 जुलाई 1880 को बनारस शहर से चार मील दूर लमही गांव में हुआ था।आपका बचपन बहुत ही आर्थिक…

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