चीखती खामोशियाँ

चीखती खामोशियाँ उतारो ” साली”के सारे कपड़े और पूरी तरह निर्वस्त्र करके पेड़ पर बांध कर कोड़े से मारो , पंच परमेश्वर में से एक ने ये राय दी , ….तभी दूसरे ने कहा नही इसके मुँह काला करके पूरे गाँव मे घुमाया जाय , इसी तरह जिसके जो मन मे आया फैसला सुना रहे…

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बदलाव

बदलाव दीदी अस्पताल से घर आ गई हैं …चार कंधों पर सवार ..घर की दहलीज से कमरे तक का सफर भारी हो रहा है ,…कमरे का सन्नाटा अचानक महिलाओं .बच्चों के रुदन से गूंज उठा ,–आज घर की मालकिन .लक्ष्मी –चली गई ..पर अपने पीछे यादों का एक लम्बा काफिला छोड़ कर …घर -आंगन में…

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बेटी और बैल

बेटी और बैल बिहार के बेगुसराय में एक गरीब किसान ने अपनी बेटी को पढ़ाने के लिए अपने खेत और दो बैल बेच दिया- यह कल के राष्ट्रीय समाचार में था। उसे बाद उसके घर नेताओं की लाइन लग गयी, यह दिखने के लिए कि वो कितने सम्बद्ध हैं- उसकी गरीबी से और कितने प्रभावित…

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अमीना का चूल्हा

अमीना का चूल्हा बंगाल की खाड़ी के तटवर्ती इलाके का एक छोटा सा गांव है गोलाखाली। नारियल, सुपारी और सुंदरी वृक्ष से सजे इस गांव में कुल मिलाकर छत्तिस घर बसा है । यहां के ज्यादातर लोग मछुआरे हैं जो निम्न वित्तीय श्रेणी में आते हैं। गांव के पश्चिम छोर के अंत में एक झोपड़ी…

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काहे बिहाए बिदेश

काहे बिहाए बिदेश गाँव का चबूतरा जो हमेशा गुलजार रहता था, आज सुनसान है। वहाँ हमेशा एक भीड़ हुआ करती थी, खोमचे वाले, बस पकड़ने वाले, फेरी वाले। सुस्ताने की एक वही जगह थी। पीपल का बड़ा पेड़ और चारों तरफ बड़ा चबूतरा। एक हैंड पम्प भी लगा हुआ है। दरअसल कल ही सरकारी दफ्तर…

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सुहानी बारिश

सुहानी बारिश “मुनियाँ के दद्दा !…… सो गये का ?” पत्नी ने झिंझोड़ कर पूछा तो करवट ले कर उठते हुए रामदीन बोला …. “नहीं री नींद कहाँ आवेगी …. तीन दिनों से पानी पड़ रहो है ….. बच्चन के पेट में अन्न का दानों भी नहीं गयो । समझ नहीं आ रहो का करें”…

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भोर की प्रतीक्षा

भोर की प्रतीक्षा आज प्लेटफार्म पर कुछ ज्यादा ही भीड़ थी ,शायद कोई रैली जा रही थी ..पटना ,लोग दल के दल उमड़े चले आ रहे थे ,हाथों में झंडे ,छोटे बड़े झोले ,गठरियाँ लादे हुए …मुफ्त में यात्रा कर ,कुछ रूपये बचाने के लिए बेबस मजबूर लोग भी थे।तो कुछ ऐसे लोग भी थे…

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अहमियत

अहमियत नाजों से पली मधु को शादी से पहले इस बात की भनक तक न थी कि शादी के बाद जीवन में कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा l संयुक्त परिवार की बेटी मधु के आँखों में आँसू देख उसके बड़े ताऊ आसमान सिर पर उठा लेते थे l इसलिए परिवार के सभी बच्चे मधु…

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बड़ी बहू

बड़ी बहू “अरे सुनती हो अम्मा! सोनू मोनू के लिए बड़ा अच्छा रिश्ता मिल रहा है।” राम प्रसाद जी ने मां को बड़ी प्रसन्नता से बताया। उनका एक एक अंग उनकी प्रसन्नता को प्रकट कर रहा था। मां अपनी बहू को आंख के इशारे से पास में बुलाती हुई बोली,”अरे किसने बताया है रिश्ता और…

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नारी सशक्तिकरण का स्वरूप – “सौत”

नारी सशक्तिकरण का स्वरूप – “सौत” हिंदी साहित्य में जब भी कहानी की चर्चा होगी, वह मुंशी प्रेमचंद जी का नाम लिए बिना हमेशा अधूरी ही रहेगी। उनकी कहानियों में समाज के सामान्य वर्ग; जिनमें छोटे, दबे कुचले, सहमे और सताए लोगों से जुड़ी समस्याओं का विशेष स्थान रहा है। अपने जीवन-काल में जिस आर्थिक…

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