युगदृष्टा प्रेमचंद
युगदृष्टा प्रेमचंद प्रेमचंद युग भारत की दासता का युग था। उस समय देश का जीवन जीर्ण शीर्ण हो गया था ।आडंबर और सामंतवाद का बोलबाला था। वह भारत की अधोगति का समय था किंतु धीरे धीरे अंग्रेजों के अधीन होते हुए भी देश में पुनरुत्थान की भावना जागृत होने लगी।प्रेमचंदजी ने एक सजग, ईमानदार और…
संस्मरण प्रेमचंद जी के परिवार का
संस्मरण प्रेमचंद जी के परिवार का बचपन में पांचवीं, छटी से ही पुस्तकों में दिनकर, महादेवी वर्मा,मैथिली शरण गुप्त, सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ जिनके नाम का तिराहा आज भी है, डॉ राम कुमार वर्मा, हरिवंश राय बच्चन जी जो इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के “अंग्रेज़ी डिपार्टमेंट , फ़िराक़ गोरखपुरी जी भी अंग्रेज़ी डिपार्टमेंट के हेड रहे पर दोनों…
सुभागी
सुभागी महान कथा सम्राट, क़लम के सिपाही मुंशी प्रेमचंद जी की कहानी “सुभागी” पर समीक्षात्मक आलेख। कहा जाता है। जितना कहा जाना था। जितना लिखा जाना था, वो सब कहा और लिखा जा चुका है। प्रकृति प्रदत्त पंच तत्वों के नैसर्गिक एवम भौतिक प्रतिमान शाश्वत हैं। जिनकी विद्यमानता अनादिकाल से अनवरत स्थापित है। समय काल…
रमजीता पीपर
रमजीता पीपर रमजीता पीपर से गाँव की पहचान है या गाँव से इस पीपल के पेड़ की इसके बारे में दद्दा से ही पता लग सकता है। दद्दा की उम्र बहुत अधिक नही है, यही 70 के लगभग, पर लोग उन्हें दद्दा कहने लगे हैं, शायद उनके ददानुमा कहानियों और बातों के कारण हो, या…
‘आनंदी’ : मेरी प्रिय चरित्र
‘आनंदी’ : मेरी प्रिय चरित्र ‘कथा सम्राट’ मुंशी प्रेमचंद जयंती के अवसर पर, ‘गृहस्वामिनी’ पत्रिका के तत्वावधान में आयोजित आलेख एवं कथा प्रतियोगिता के अंतर्गत आलेख का विषय, “आपको प्रेमचंद की कौन सी कहानी सबसे अधिक पसंद है और क्यों?” पढते ही उम्र के इस पड़ाव पर भी मेरे जेहन में जो नाम आया वह…
भारतीय मुक्ति-संग्राम में प्रेमचंद साहित्य का योगदान !!
भारतीय मुक्ति-संग्राम में प्रेमचंद साहित्य का योगदान !! किसी काल-विशेष के साहित्य में उस युग की विशेषताएँ प्रतिबिंबित होती रहती है। उसमें मूल मानवीय प्रवृत्ति और जातीय सांस्कृतिक स्थितियों एवं सामाजिक-राजनीतिक संघर्षों के चित्र भी देखे जा सकते हैं। यदि साहित्य समाज का दर्पण है तो इसमें देश तथा समाज की राजनीतिक स्थिति का विवरण,…
नन्हा फरिश्ता
नन्हा फरिश्ता राम-लक्ष्मण जैसे दो भाईयों के बीच जमीन- जायदाद को लेकर लड़ाई हुई थी और बंटवारा हुआ था। बड़ा भाई सुखदेव यूँ तो बहुत समझदार था और अपने छोटे भाई ज्ञानदेव को प्यार भी करता था परंतु जबसे दुलारी पत्नी बनकर उसके घर आई थी,एक-दो सालों में हालात कुछ ऐसे होने लगे थे और…