कमली

कमली “कमली….अरे कमलिया! कहाँ मर गयी रे? तुझे कहा था इन बकरियों को बाड़े में बांधने… सारी साग चबा गयीं…ये लड़की तो मेरे जी का जंजाल ही बन गयी है”. कमली की चाची भुनभुनाती हुई बकरियों को हाँकने में लग गयी. उधर चाची की घुड़की औऱ बड़बड़ाहट सुनकर कमली भागती हुई आई. उसे पता था…

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मुंशी प्रेमचंद

मुन्शी प्रेमचंद कथा सम्राट, उपन्यास सम्राट कहानी सम्राट लघु कथा, प्रेमचंद जी की रचनाओं में ग्रामीण परिवेश रहन सहन जीवन शैली देखते ही बनती है उनकी किसी भी कहानी लघु कथा या निबंध आज भी उतनी ही प्रासंगिक लगती है उनके किसी एक रचना को रुचि कर बताना बहुत ही मुश्किल कार्य है उनके कहानी…

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निर्मला : एक औरत

निर्मला : एक औरत मुंशी प्रेमचंद, जो कि कलम के सिपाही, के नाम से भी जाने जाते हैं, ने हिन्दी साहित्य की अभूतपूर्व सेवा की है। उर्दू और हिन्दी में लिखी उनकी 300 कहानियों और करीब 45 उपन्यासों ने सौ वर्षों से अधिक समय से साहित्य प्रेमियों को गुदगुदाया है, उत्साहित किया है, प्रेरित किया…

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बाल मनोविज्ञान की सर्वश्रेष्ठ कहानी ईदगाह

बाल मनोविज्ञान की सर्वश्रेष्ठ कहानी ईदगाह प्रेमचन्द की कहानियां हमारे आसपास और दैनंदिन जीवन की हर छोटी-बड़ी घटनाओं से प्रेरित होती है,उनको पढ़ते समय यही प्रतीत होता है जैसे यह घटना हमारी आंखों के सामने घटित हो रही है अथवा हमारे परिवेश से ही जुड़ी हुई है, विशेष रूप से बाल मनोविज्ञान से जुड़ी कहानियां,अपनी…

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जुगनू अम्मा

जुगनू अम्मा आज सुबह से ही मन उदास सा है। रात भर नींद नहीं आई थी और अब सात बजने पर भी आंखें खुल नहीं रही हैं। फटाफट फ्रेश होकर गैस पर चाय चढ़ा दी और तेज पत्ती डालकर कप में छानकर बाहर बालकनी में आ गया। आजकल सुबह कितनी सुहानी हो गई है। चिड़ियों…

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पेट की आग

पेट की आग रमिया का विवाह दीनू से लगभग सात वर्ष पूर्व महाराष्ट्र के एक छोटे से गांव में हुआ था। दीनू गन्ने के खेतों में श्रमिक के रूप में काम करता था। घर का गुज़ारा किसी तरह चल ही जाता था। धीरे-धीरे उसके चार बच्चे भी हो गए थे। रमिया, दीनू को समझाती थी…

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रैली

रैली “चलो, हटो… भागो इंहा से… खत्तम हुआ सब कुछ…. जगह खाली करो।” पुलिस वाले डंडे घुमाते हुए जगह खाली कराने की कोशिश कर रहे थे। “अरे.. साहब, कहाँ जाएं हमलोग, अभी बस आता होगा… खाली कर देंगे… इंहा जगह भी है अउर धूप भी लग रहा है…” वहां खड़े एक नौजवान ने कहा। ”…

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मशाल

मशाल दरवाजे की घंटी बजी।मैंने किवाड़ खोला और सामने श्यामा खड़ी थी। वह चुपचाप घर में प्रवेश कर गई। मेरी निगाहें उसका पीछा करती हुई उसके मुखमंडल पर छाई भाव -भंगिमा को पढ़ने लगी। आज उसके चेहरे पर मुझे उल्लास की कोई रेखा दिख नहीं रही थी। उसकी चुप्पी में उदासी के बादल छाए हुए…

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युगदृष्टा प्रेमचंद

युगदृष्टा प्रेमचंद प्रेमचंद युग भारत की दासता का युग था। उस समय देश का जीवन जीर्ण शीर्ण हो गया था ।आडंबर और सामंतवाद का बोलबाला था। वह भारत की अधोगति का समय था किंतु धीरे धीरे अंग्रेजों के अधीन होते हुए भी देश में पुनरुत्थान की भावना जागृत होने लगी।प्रेमचंदजी ने एक सजग, ईमानदार और…

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संस्मरण प्रेमचंद जी के परिवार का

संस्मरण प्रेमचंद जी के परिवार का बचपन में पांचवीं, छटी से ही पुस्तकों में दिनकर, महादेवी वर्मा,मैथिली शरण गुप्त, सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ जिनके नाम का तिराहा आज भी है, डॉ राम कुमार वर्मा, हरिवंश राय बच्चन जी जो इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के “अंग्रेज़ी डिपार्टमेंट , फ़िराक़ गोरखपुरी जी भी अंग्रेज़ी डिपार्टमेंट के हेड रहे पर दोनों…

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