खोयी हुई आजादी…

खोयी हुई आजादी… भीतर गहराई से हम स्वतंत्र प्राणी हैं। लगभग। जन्म के समय हमारी स्वतन्त्रता का बोध कराने के लिए, हमें बंधन मुक्त करने को नाभि की नाड़ भी काट दी जाती है, इसी तथ्य को दर्शाते हुए कि हमारा मूल संबंध स्वयं से होता है, न कि अन्यों से। ‘स्व-तंत्र’ का मतलब है…

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माटी का सपूत

माटी का सपूत देशभक्ति अपने उबाल पर थी, जय हिंद के नारों से गली-गली, मोहल्ला-मोहल्ला गूंज उठता था, समूचा देश एक क्रांति के दौर से गुजर रहा था । आए दिन देशभक्ति और वीरो की हुंकार देश की जनता के प्राणों में नये जोश भर देती थी, देशभक्तों की टोलियों द्वारा योजनाएँ बनाकर ट्रेनों पर…

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पूर्ण स्वराज के प्रणेता

पूर्ण स्वराज के प्रणेता “मरण” और “स्मरण”- इन दो शब्दों में यों तो “स्” अक्षर का ही अंतर है, परन्तु, इस छोटे से शब्द को कमाने के लिए जीवनपर्यंत लोकहित और आदर्शवादी विचारधाराओं पर चलना पड़ता है,जिसके महत्वपूर्ण उदाहरण हैं, लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक।1अगस्त,2020 को उनके पुण्यतिथि की शताब्दी मनायी गयी।बहुआयामी प्रतिभा के धनी लोकमान्य…

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भारत की बातें

भारत की बातें ये भाषण भी ले लो, ये राशन भी ले लो, हमें मत सुनाओ तुम्हारी कहानी, सुनाओ हमें सिर्फ़ भारत की बातें. वो गीता की गरिमा, वो वेदों की बानी। वो भारत का दुनिया को रस्ता दिखाना, वो शांति, अहिंसा की राहों पे जाना, वो चाणक्य, अकबर, शिवाजी, वो राणा, वो झांसी की…

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वीरता और विद्वत्ता का अद्भुत समन्वय

वीरता और विद्वत्ता का अद्भुत समन्वय मेरे जीवन की क्षुधा, नहीं मिटेगी जब तक मत आना हे मृत्यु, कभी तुम मुझ तक… भारतीय क्रांतिकारी आंदोलन भारतीय इतिहास का स्वर्णिम युग है। भारत की धरती पर जितनी भक्ति और मातृभावना उस युग में थी, उतनी कभी नहीं रही। 1857 की क्रांति के बाद हिंदुस्तान की धरती…

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सपनों का भारत

सपनों का भारत भारत अथवा हिंदुस्तान का नाम सामने आते ही ऐसे देश की कल्पना साकार हो उठती है जो अपनी प्राकृतिक संपदा, नैसर्गिक सौन्दर्य एवम अथाह धन धान्य से परिपूर्ण है। अपनी सांस्कृतिक विरासत एवम ज्ञान के अकूत भंडार से मालामाल है । अपनी शांतिप्रियता एवम वसुदेव कुटुम्बकम की अति प्राचीन धरोहर का पालन…

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छोटा कद, ऊँचा व्यक्तित्व

छोटा कद, ऊँचा व्यक्तित्व देश को आजादी मिले बीसेक बरस हुए होंगे, जब हमने एक छोटे शहर के एक छोटे स्कूल में पढ़ाई शुरु की थी। तब देश कितनी समस्याओं से जुझारू होकर लड़ रहा है, नहीं पता था। लेकिन देश के दूसरे प्रधानमंत्री की मौत पर स्कूल के प्रांगण में एक छोटी सभा हुई…

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बढ़ते कदम : 1947 से आज तक

बढ़ते कदम : 1947 से आज तक स्वतंत्रता संग्राम, आजादी की लड़ाई, गुलामी से मुक्ति, स्वराज्य – ये मात्र शब्द नहीं हैं। इनसे हमारे भावनात्मक संबंध हैं जो आज से 73 साल पहले 15 अगस्त, 1947 को पूरे हुए। एक कड़े संघर्ष के बाद देश अपने लिए खड़ा था, अपने पैरों पर। अपना राज्य, अपनी…

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प्रेमचंद की युग चेतना

प्रेमचंद की युग चेतना कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद का साहित्य हिंदी साहित्य के इतिहास में टर्निंग प्वाइंट के रूप में माना जाता है ,जहां साहित्य जीवन और समाज के यर्थाथ से जुड़ता है ।प्रेमचंद्र का उद्देश्य जीवन और समाज को समझना था। उनकी पैनी दृष्टि जीवन के अनछुए पहलुओं को हमारे सम्मुख लाती हैं ,जो…

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मजदूर

मजदूर जबसे लॉकडाउन शुरू हुआ है मोंटी की तो चांदी ही चांदी हो गई है। होमवर्क, स्कूल से पूरी छुट्टी।आराम से पूरा दिन घर में मम्मी पापा के साथ मजा ही मजा।जो मन हो वही मम्मी से बनवा के खाओ। और तो और शूटिंग का भी सिरदर्द नहीं। नहीं तो पढ़ाई के साथ साथ शूटिंग…

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