हमारी हिन्दी
हमारी हिन्दी हिन्दी भारत की हर श्वास है, इक नवीन विश्व की आस है। तन में बहता अरुण रक्त है, हर भारतवासी इसका भक्त है। हिंदी प्रेम-विजय की बोली, मानवता पनपी इसकी झोली। यही ग्रीष्म-शीत ऋतु बसंती, माँ देवी के माथे की बिंदी। वर्ण से शब्द, शब्द से वाक्य, हर भाव में भाषा महान है।…