मेरी माँ
ऐसी मेरी माँ , ऐसी मेरी माँ
नहीं किसी के जैसी मेरी माँ
गुणों की खदान,
मेरे परिवार की पहचान,
जीवन के मूल्यों का पाठ पढ़ाती,
शिक्षक होने का सही अर्थ दर्शाती
ऐसी मेरी माँ, ऐसी मेरी माँ
नहीं किसी के जैसी मेरी माँ।।
इसका जीवन संघर्षों की कहानी,
हँस हँस कर सुनाती,
अपनी ही ज़ुबानी,
सबको लेकर संग चलाती,
संघर्षों में भी हँसना सिखलाती,
ऐसी मेरी माँ, ऐसी मेरी माँ
नहीं किसी के जैसी मेरी माँ।।
सुबह से काम मे लग पड़ती,
घर मे ,किसी बच्चे सी ,
चुहल ये करती,
हर काम को खुद करने लग जाती
“कोई काम नही छोटा”
की शिक्षा दे जाती,
ऐसी मेरी माँ, ऐसी मेरी माँ
नहीं किसी के जैसी मेरी माँ।।
गलत बात ये सहन न करती,
ना ही है ये किसी से डरती,
कभी” रेवाभाभी”कभी”अम्मा”
कभी “शुक्ला मैडम”, तो कभी
” जगत चाची ” कहलाती ,
ऐसी मेरी माँ, ऐसी मेरी माँ
नहीं किसी के जैसी मेरी माँ।।
गलत बात ये देख ना सकती,
कही भी घुस जाती है
अनजाने लोगो की गलती पर,
ये डाँट लगाकर आती है,
जीवन के सही मतलब को गिनाती,
सही गलत सबको समझाती
ऐसी मेरी माँ, ऐसी मेरी माँ
नहीं किसी के जैसी मेरी माँ।।
ये माँ है मेरी, मुझे है गर्व,
हर दिन मनाती, जैसे कोई पर्व
हस्ती हमारी हर सुख दुख में,
संग तुझे है पाती
सिर उठाकर जीने के हरदम
प्रेरणा तू दे जाती
ऐसी मेरी माँ, ऐसी मेरी माँ
नहीं किसी के जैसी मेरी माँ।।
तेरे निश्चल प्रेम से हमेशा,
बस यही भावना आती है,
तू गौरव हमारे जीवन का,
तेरी छाया तृप्ति दे जाती है,
बना रहे साया तेरा हरदम
हर जन्म में हम ,
पाएँ तेरे जैसी माँ,
ऐसी मेरी माँ, ऐसी मेरी माँ
नहीं किसी के जैसी मेरी माँ।।
अंश भी जो तेरा बन गये,
समझो जीवन मे तर गए,
सभी के लिए एक आदर्श दिखलाती,
कभी डाँटती, कभी सहलाती,
ऐसी मेरी माँ , ऐसी मेरी माँ
नहीं किसी के जैसी मेरी माँ
तृप्ति मिश्रा
इंदौर(म.प्र.)