माँ का मातृत्व
नौ महीने गर्भ से
हो जाता सफर शुरू माँ का
फिर जन्म देते ही
उसकी सारी दुनिया घूमती सिर्फ अपने बच्चे के ही
इर्द गिर्द
हर आँसू, हर दर्द, हर दुःख
हर तकलीफ बन जाती उसकी छोटी अपने बच्चे की मुस्कान के आगे
माँ का मातृत्व ही कुछ ऐसा है
जिसका न मोल कोई
गर्भ धारण से उसके जन्म से
उसके बचपन, युवा, बड़े होने तक माँ रहती सिर्फ माँ बिन किसी उपेक्षा के बस लुटाती
ममता ही
कौन पा सकता है पार माँ के इस अनमोल प्यार, त्याग, समर्पण का
जिसकी हर सांस , हर धड़कन होती सिर्फ अपने बच्चे के लिए
फिर बड़ा होने पर चाहे वो समझे या न समझे मोल माँ का….पर माँ तब भी माँ रहती है…न लब पर कोई शिकवा न कोई शिकायत ….बस दुआ सिर्फ दुआ…बस ऐसे ही होती है माँ और उसकी ममता
जिसका कोई भी मोल नहीं।।
मीनाक्षी सुकुमारन
नोएडा