माँ

“माँ” अक्षर
में सिमट पूरा संसार
हर खुशी
हर आस
हर विश्वास
से बुना ये रिश्ता प्यारा।।
न कोई छल इस में
न कोई मिलावट
न कोई बनावट
बस निश्छल स्नेह
से बुना ये रिश्ता प्यारा।।
माँ क्या होती है
कितना दर्द वो सहती है
कितनी जान वो लगाती है
खुद को भूल ही जाती है
करने में बड़ा हमें
हुआ हर इक बात का
एहसास खुद माँ बनने पर
सच न माँ से बड़ा कोई
न ही माँ बनने से बड़ा सुख कोई
“माँ” अक्षर में सिमटा
पूरा संसार
हर खुशी
हर आस
हर विश्वास ।।

मीनाक्षी सुकुमारन
नोएडा

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