मकर संक्रांति
मकर राशि में कर प्रवेश रवि, ऊर्जा नवल धरे |
जीवन के पावन आँगन रवि, मंगल ज्योति भरे |
उत्तरायण जाए दिवाकर, ऋतु नव बदल रही |
शिशिर गिराता पीत वसन है, मधु ऋतु मचल रही |
मन में मंगल भाव लिए जन, पुण्य प्रताप वरें |
जीवन के पावन आँगन रवि, मंगल ज्योति भरे |
दान- दक्षिणा देकर जन सब, मन उमंग भरते |
मन आस्था रख स्नान करें नद, कृपा प्राप्त करते |
सूर्यदेव को अर्घ्य चढ़ाकर, शत-शत नमन करें |
जीवन के पावन आँगन रवि, मंगल ज्योति भरे |
गुड़ में तिल अरु दिल में खुशियाँ, चम चम चमक रहीं |
आसमान में उड़ी पतंगे, दम-दम दमक रहीं |
परिवर्तन का पर्व अनूठा, जीवन कष्ट हरे |
जीवन के पावन आँगन रवि, मंगल ज्योति भरे |
(विष्णुपद छंद – गीत)
सुनीता माहेश्वरी
नशिक, भारत