मानवता की देवी-डोरोथिया डिक्स
डोरोथिया डिक्स एक ऐसी महिला थी जिसने अपने समय में मानसिक बीमारों के सुधार के लिए बहुत कुछ किया। उन्होंने अपने जीवन के लम्बे समय में लोगों की मदद करने के लिए अपनी ताकत और सामाजिक संवेदनशीलता का उपयोग किया। उन्होंने एक समय में बताया था कि वे किसी भी व्यक्ति की मदद किए बिना नहीं रह सकतीं।
डोरोथिया डिक्स ने जब तुर्की की एक संस्था के बारे में सुना, तो उन्होंने उसे एक मॉडल संस्था के रूप में इस्तेमाल किया। इसके बाद उन्होंने मानसिक रोगियों के सुधार के लिए अपनी जानकारी और तकनीक का उपयोग करते हुए काम शुरू कर दिया। वे बहुत से संदर्भों में इस काम को तब तक करतीं रहीं जब उन्हें अपनी सेहत की समस्याएं होने के कारण समय से पहले अपनी समाज सेवा से रुकना पड़ा।डोरोथिया डिक्स के उपकार को समझने के लिए आवश्यक है कि हम उन्हें उस समय के सामाजिक संदर्भ में जानने का प्रयास करें।
डोरोथिया डिक्स एक सामाज सुधारक थीं जिन्होंने मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों पर जोर दिया था। वे अमेरिका की पहली महिला थीं जिन्होंने राजनैतिक स्थिति का फायदा उठाकर मानसिक रोगियों की देखभाल में सुधार किए।
डोरोथिया का जन्म 1802 में हुआ था। उन्हें बचपन में बहुत सी बीमारियों से जूझना पड़ता था। ये स्वास्थ्य समस्याएं बाद में भी उनके जीवन को प्रभावित करती रहीं।
डोरोथिया को सामाजिक सुधारों के क्षेत्र में काम करने का शौक था। उन्होंने बहुत से गरीब और असहाय लोगों की मदद की।उन्होंने स्कूलों का भी निर्माण किया था।डोरोथिया की सबसे बड़ी उपलब्धि थी कि उन्होंने मानसिक रोगियों के लिए अस्पतालों का नेतृत्व किया। उन्होंने अस्पतालों के अवस्था को देखते हुए इसे सुधारने के लिए कई कदम उठाए।
वह मानसिक रूप से असहाय लोगों के हित में लगातार कार्यक्रम चलाकर संघ विधानसभा और संयुक्त राज्य अमेरिका को लॉबी करते हुए अमेरिकी मानसिक अस्पतालों की पहली पीढ़ी को बनाने में सफल रहीं ।
डिक्स को अपनी मानसिक बीमारी के कारण अपने बचपन से ही अनेक दुख झेलना पड़ा। इसके बावजूद, उन्होंने एक समाजसेवी बनने का फैसला लिया और समाज के मानसिक रूप से असहाय लोगों के हित में काम करने लगीं।
डिक्स ने अपनी समाजसेवा की शुरुआत शिक्षक के रूप में की। उन्होंने एक दशक तक महिलाओं के लिए शिक्षा के बारे में लेख लिखा और प्रकाशित किया।उनकी
माँ के बिगड़ते स्वास्थ्य तथा पिता के व्यवसायी (मैथडिस्ट प्रचारक) होने के कारण उनके माता पिता बच्चों की देखभाल नहीं कर पाए इसलिए उन्हें और उनके दोनों भाइयों को उनकी समृद्ध दादी, डोरोथिया लाइंड (Dorothea Lynde) के पास भेज दिया गया था।
उसने 14 साल की अल्पआयु में मासाचुसेट्स के वुस्टर में एक स्कूल में पढ़ाना शुरू किया, जिसमें वह नैतिक जीवन और प्राकृतिक विज्ञान संबंधित विषयों की जानकारी पर जोर देती थी। अपनी कक्षा के लिए अपने क्यूरिकुलम को भी विकसित किया।
1831 में डिक्स ने बोस्टन में एक स्कूल खोला, जिसमें अमीर परिवारों ने दान किया। उसके बाद ही उसने अपनी दादी के खलिहान की बैरन से गरीब और उपेक्षित बच्चों को सिखाना शुरू किया, डोरोथिया डिक्स बोस्टन में अपने स्कूल की स्थापना के लिए बहुत मायने रखती थी।यह स्कूल लड़कियों के लिए था जो गरीबी की वजह से शिक्षा से वंचित थीं। स्कूल का उद्देश्य उन लड़कियों को शिक्षा देना था जो आगे चलकर खुद के लिए एक अच्छा जीवन बना सकती थीं।
डोरोथिया डिक्स एक समाज सुधारक थीं जिन्होंने मानसिक स्वास्थ्य के लिए कई सुधार किए थे। उन्होंने न केवल समाज को मानसिक रूप से अस्थिर होने से बचाया बल्कि उन्होंने बोस्टन में एक मॉडल स्कूल भी स्थापित की थी जिससे लड़कियों को शिक्षा मिलती थी।
डिक्स के स्कूल में एक विशेषता थी कि यह एक नया मॉडल स्कूल था जो न केवल बहुत सस्ता था, बल्कि यह लड़कियों के लिए नई शैक्षणिक पद्धतियों को भी पेश करता था। इसके अलावा, स्कूल लड़कियों को शिक्षित करने के साथ-साथ उन्हें शिक्षा के महत्व को समझाने के लिए भी समर्पित था।
उनका यह स्कूल अपने दृष्टिकोण में एक नए प्रकार का स्कूल था जो शिक्षा के साथ-साथ लड़कियों के सामाजिक विकास को भी ध्यान में रखता था ।
डोरोथिया डिक्स बहुत समझदार थीं और उन्होंने अपने स्कूल में विभिन्न विषयों को शामिल किया था। उन्होंने इस स्कूल में विद्यार्थियों को न केवल व्यक्तिगत विकास के लिए बल्कि सामाजिक विकास के लिए भी तैयार किया था। उन्होंने अपनी स्कूल में लड़कियों के लिए शिक्षा को एक नई दिशा दी।
उन्होंने इस स्कूल को 1836 तक चलाया, लेकिन स्वास्थ्य बिगडने पर उसका देखभाल छोड़ना पड़ा।अपनी सेहत सुधारने के उन्हें यूरोप भ्रमण की सलाह दी गई थी।
डिक्स ने अपनी सफ़र के दौरान तुर्की में एक संस्था का भ्रमण किया जो दूसरी संस्थाओं जैसी शर्तों में था , लेकिन फिर भी एक मॉडल संस्था था । उन्हें इंग्लैंड जाने की सलाह दी गई थी ताकि उनकी सेहत में सुधार हो सके। उन्होंने इंग्लैंड में रहते हुए ब्रिटिश सामाजिक सुधारकों से मुलाकात की, जो उन्हें प्रेरित करते रहे। सुधारक इलिज़ाबेथ फ्राई, सैमुअल ट्यूक और विलियम रैथबोन के साथ वह उनके घर में रही थी। यहीं पर उन्होंने रैथबोन परिवार मिला जो प्रभावशाली सामाजिक सुधारक थे।ग्रीनबैंक में, डिक्स उन व्यक्तियों और महिलाओं के सर्कल से मिलीं जो सरकार को समाज सुधार के लिए लॉबी कर रहे थे| उन्होंने अपने आधिकारिक संगठनों को आम लोगों के समक्ष लाने के लिए सफलता प्राप्त की। उन्हें मानसिक रोगियों की देखभाल के सुधार आंदोलन के बारे में भी जानकारी दी। अधिकांश संस्थाओं ने मनोरोगियों की जांच गहराई से कर अपनी अध्ययन रिपोर्ट हाउस ऑफ कॉमन्स को प्रकाशित करते हुए मदद की।
यूरोप यात्रा के दौरान और रैथबोन परिवार के साथ रहते हुए, डोरोथिया की दादी की मृत्यु हो गई और उसने उससे एक “बड़ी संपत्ति और उसके रियल्टीज के साथ छोड़ दिया” जिसने उसे अपने जीवन के शेष भाग के लिए आरामदायक बनाया।
1824 से 1830 तक, वह बच्चों के लिए मुख्य रूप से धार्मिक पुस्तकें और कहानियां लिखती रही। उनकी Conversations on Common Things (1824) ‘कॉमन थिंग्स पर बातचीतें’ पुस्तक एक लोकप्रिय बाल-साहित्य पुस्तक है जो मां-बेटी के बीच बातचीत के रूप में लिखी गई है। इस पुस्तक का पहला संस्करण 1824 में प्रकाशित हुआ था और बाद में इसे अनेक बार पुनः प्रकाशित किया गया था।
इस पुस्तक में, डिक्स ने अलग-अलग विषयों पर बातचीत की है, जिसमें बच्चों के लिए बहुत कुछ है। इसमें बच्चों को अच्छी आदतों का पालन करना सिखाया गया है और उन्हें जीवन के विभिन्न पहलुओं के बारे में समझाया गया है। यह पुस्तक बच्चों के लिए न केवल मनोरंजन का साधन है, बल्कि उन्हें नैतिक और सामाजिक शिक्षा भी प्रदान करता है।
डिक्स द्वारा लिखी गई यह पुस्तक बच्चों को सामान्य विषयों पर सोचने और विचार करने के लिए प्रेरित करती है। इससे बच्चों के मनोबल में वृद्धि होती है और सामाजिक अभिरुचि का भी विकास होता है। यह पुस्तक एक बाल-साहित्य की नई परंपरा बन गई|
1869 तक अपने साठवें संस्करण तक पहुँच गई| Garland of Flora (1829) अमेरिका में फूलों के लिए प्रकाशित पहले दो शब्दकोशों में से एक था, जिसमें Elizabeth Wirt की Flora’s Dictionary भी शामिल थी। Dix की अन्य किताबें Private Hours, Alice and Ruth, और Prisons and Prison Discipline शामिल हैं।
डोरोथिया डिक्स अमेरिका की एक महिला समाज सुधारक थीं जिन्होंने अपने जीवन के दौरान सामाजिक सुधारों के क्षेत्र में बहुत सारे काम किए। डिक्स को “अमेरिकी मानवता की देवी” कहा जाता है जिसने अपने जीवन के दौरान मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में बहुत सारे सुधार किए।
डिक्स ने मानसिक रोगियों के लिए उन्नत अस्पतालों का संचालन करने के लिए लड़ाई लड़ी और सामाजिक सुधारों को साधनों से जोड़ने के लिए कई पहल की।
उन्होंने अपनी यात्राओं में अपनी दृष्टि का विस्तार किया और रचनात्मक उपाय ढूंढा। उन्होंने मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में उन अस्पतालों की समीक्षा की जो उचित तरीके से विकास नहीं कर रहे थे ।
डोरोथिया डिक्स ने न केवल मानसिक रूप से बीमार लोगों की मदद की बल्कि सामाजिक बदलाव के लिए भी लड़ाई लड़ी। डिक्स को सामाजिक सुधार के लिए संघर्ष करने वाली महिलाओं में से एक माना जाता है।
डोरोथिया डिक्स ने मानसिक बीमार लोगों की मदद करने के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया था। वह अपने जीवन में दुनियाभर में बहुत सारे संगठनों की स्थापना की जो दुनिया भर में मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की बेहतर समझ और उन्हें सही तरीके से उपलब्ध करवाने का काम करते हैं। डिक्स ने भी अपनी किताब “Prisons and Prison Discipline” के माध्यम से कैदियों की सुधार और उन्हें अधिकारों की जानकारी देने का काम किया था।
डोरोथिया डिक्स अमेरिका की ऐसी महिला थीं जिन्होंने न केवल अपने समय में बल्कि आज भी मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में अपने योगदानों के कारण जानी जाती हैं। उन्होंने मानसिक स्वास्थ्य की जागरूकता फैलाई और इस क्षेत्र में सुधारों की शुरुआत की। डोरोथिया डिक्स ने मानसिक स्वास्थ्य के लिए काफी लड़ाई लड़ी और इस क्षेत्र में कई बदलाव किए। उनके इस महत्वपूर्ण योगदान को देखकर ये कहना किंचित भी अतिशयोक्ति है नहीं होगी कि आज समाज में मानसिक रखरखाव तथा सेहत पर बने कानून तथा सेवा केंद्र उनकी दूरदर्शिता तथा समाज बदलाव के प्रति तन मन धन से पूर्ण समर्पण है।
वंदना खुराना
लंदन , इंग्लैंड
लेखक परिचय :
गत 27 वर्षों से इंग्लैंड के पूर्वी तट नोरफोक में निवास करते है तथा स्थानीय एन एच एस हॉस्पिटल में मैनेजमेंट कंसल्टेंट के रूप में कार्यरत ।
गत 27 वर्षों से धर्म और भारतीय संस्कृति और सभ्याचार के संरक्षण अथवा सेवा हेतु “वैदिक कल्चर सोसाइटी ऑफ ईस्ट एन्गलिया” का निर्माण और उसकी अध्यक्षा। (यह संस्था विदेश में हमारी भावी पीढ़ियों को भारतीय पारंपरिक सभ्यता तथा अमूल्य संस्कारों को जीवित रखने तथा जोड़ने का प्रयास है)