रहस्यमयी रानी-मिस्र की क्लियोपेट्रा Vll
क्लियोपेट्रा मिस्र की सबसे सफल व खूबसूरत रानी थी। उसने अपनी सुंदरता , चतुराई , षड्यंत्रकारिता, कामुकता व बुद्धिमत्ता के बल पर कई वर्षों तक सफलतापूर्वक राज किया।
आज भी इस रहस्यमयी शख्सियत के ऊपर शोध जारी है। यह सिलसिला थमा नहीं है। साथ ही, यह कहना भी न्याय संगत होगा कि वह क्रूर भी थी। राजगद्दी के लिए उसने अपने ही परिवार के कई सदस्यों की हत्या करवा दिया था। एक औरत की आड़ में उसने साम-दाम-दंड सभी का सहारा लेकर राज किया।इतिहास के गलियारों में अपनी पताका फहराकर अकेले अपने दम पर हुकुमत की।
आधिकारिक तौर पर, ‘क्लियोपेट्रा’ नाम की केवल सात राजकुमारियों को मिस्र के सिंहासन पर बैठने का श्रेय दिया जाता है। अंतिम रानी क्लियोपेट्रा VII, सबसे प्रसिद्ध है, वो जूलियस सीज़र और मार्क एंटनी के साथ अपने रोमांटिक सम्बन्धों के कारण भी जानी जाती हैं।
क्लियोपेट्रा ने मिस्र पर 51 ईसा पूर्व से से 30 ईसा पूर्व तक प्राचीन मिस्र पर शासन किया था। हालांकि, उनकी मौत के बाद रोमन साम्राज्य ने देश पर नियंत्रण कर लिया था। क्लियोपेट्रा उस समय की दुनिया की सबसे खूबसूरत रानी मानी जाती थी। अपनी खूबसूरती बरकरार रखने के लिए वह रोजाना 700 गधी के दूध से नहाती थी। क्लियोपेट्रा ने रोमन राजनीति को भी अपनी सक्रियता से प्रभावित किया। वे राजाओं और सैन्य अधिकारियों के साथ दैहिक सम्बन्ध बनाकर और उन्हें मोहपाश में बांधकर उनको ठिकाने लगवा देने लिए भी जानी जाती थी। वे तीन ताकतवर पुरुषों की प्रतिद्वंद्वी थीं- जूलियस सीजर, मार्क एंथोनी और ऑक्टेवियन। जूलियस सीजर ने उन्हें मिस्र की रानी बनाने ने में मदद की थी।
अनेक कलाकारों ने क्लियोपेट्रा के रूप-रंग और उसकी मादकता पर कई चित्रकारी और मूर्तियां गढ़ीं। साहित्य में वे इतनी लोकप्रिय हुईं कि अनेक भाषाओं के साहित्यकारों ने उन्हें अपनी कृतियों में नायिका बनाया।अंग्रेजी साहित्य के तीन सुप्रसिद्ध नाटककारो, शेक्सपियर, ड्राइडन और बर्नाड शाॅ ने अपने नाटकों में उनके व्यक्तित्व के कई पहलुओं का विस्तार किया। क्लियोपेट्रा पर कई फिल्में भी बन चुकी हैं। क्लियोपेट्रा का संबंध भारत से भी था। वे भारत के गरम मसाले, मलमल और मोती भरे जहाज को सिकंदरिया के बंदरगाह में खरीद लिया करती थीं।
वह पांच भाषाओं की ज्ञाता थी।एक चतुर नेता थीं,इस कारण वे बहुत जल्दी किसी से भी जुड़कर उसके सारे राज जान लेती थीं। अपने शासन और अपने अस्तित्व को बचाने के लिए क्लियोपेट्रो को क्या कुछ करना पड़ा यह जानना बहुत ही रोचक है।
फराओ वंश की अंतिम शासक थीं क्लियोपेट्रा।उनके अफ्रीकी, कॉकेशियस या युनानी में किस वंशज के होने पर आज तक शोध जारी है।
कहते हैं कि जब क्लियोपट्रा 17 वर्ष की थीं तभी उनके पिता की मृत्यु हो गई। पिता की वसीयत के अनुसार उन्हें तथा उनके छोटे भाई तोलेमी दियोनिसस को संयुक्त रूप से राज्य प्राप्त हुआ और वह मिस्री प्रथा के अनुसार अपने इस भाई की पत्नी होने वाली थीं, लेकिन राज्याधिकार के लिए संघर्ष के परिणामस्वरूप उन्हें राज्य से हाथ धोकर सीरिया भागना पड़ा।
क्लियोपेट्रा ने साहस नहीं खोया। उसी समय जूलियस सीजर अपने दुश्मन पोंपे का पीछा करता हुआ मिस्र आया। वहां उसने क्लियोपेट्रा को देखा और वह उसकी सुंदरता और मादक आंखों पर आसक्त हो गया। क्लियोपेट्रा की सुंदरता के जाल में फंसने के बाद वह उसकी ओर से युद्ध कर उसको मिस्र की रानी बनाने के लिए तैयार हो गया।
जूलियस सीजर ने तोलेमी से युद्ध किया और तोलेमी मारा गया और क्लियोपेट्रा मिस्र के राजसिंहासन पर बैठीं। मिस्र की प्राचीन प्रथा के अनुसार वह अपने एक अन्य छोटे भाई के साथ मिलकर राज करने लगीं।शीघ्र ही उसने अपने इस छोटे भाई को विष दे दिया। क्लियोपेट्रा के आदेश पर उसकी बहन अरसीनोई की भी हत्या कर दी गई।
माना जाता है कि रोमन सम्राट जूलियस सीजर से उसे एक पुत्र भी हुआ किंतु रोमनों को यह संबंध किसी प्रकार न भाया। रोमन जनता इस संबंध का विरोध करती रही।
रोमन शासक जूलियस सीजर के जनरल मार्क एंथोनी क्लियोपेट्रा पर आसक्त हो गया था। क्लियोपेट्रा को जब यह पता चला तो दोनों ने शीत ऋतु एक साथ अलेक्जेंडरिया में व्यतीत की। कहते हैं कि एंथोनी से उनके 3 बच्चे हुए। दस्तावेजों से पता चलता है कि उन दोनों ने बाद में शादी भी कर ली थी। हालांकि वे दोनों पहले से ही विवाहित थे। एंथोनी के साथ मिलकर उसने मिस्र में अपने संयुक्त रूप से सिक्के भी ढलवाए थे।
44 ईसा पूर्व में जूलियस सीजर की हत्या के बाद उसके वारिस गाएस ऑक्टेवियन सीजर का एंथोनी ने जब विरोध किया तो उसके साथ क्लियोपेट्रा भी थीं। दोनों ने मिलकर रोमन साम्राज्य से टक्कर लेने की योजना बनाई, लेकिन दोनों को ऑक्टेवियन की फौजों से पराजित होना पड़ा।
क्लियोपेट्रा को पलायन करना पड़ा। अपने 60 जहाजों के साथ युद्धस्थल से सिकंदरिया भाग आईं। एंथोनी भी उसके पीछे-पीछे भागकर उससे आ मिला।ऐसा कहा जाता है कि बाद में ऑक्टेवियन के कहने पर क्लियोपेट्रा ने एंथोनी को धोखा दिया। ऑक्टेवियन के कहने पर वह एंथोनी की हत्या करने के लिए तैयार हो गई। एंथोनी को उसने बहला-फुसलाकर साथ-साथ मरने के लिए तैयार किया और वह उसे समाधि भवन में ले गई जिसे उसने बनवाया था।वहां एंथोनी ने इस भ्रम में कि क्लियोपेट्रा आत्महत्या कर चुकी है,अपने जीवन का अंत कर लिया।
वैसे, क्लियोपेट्रा की मौत भी एक रहस्य है। क्लियोपेट्रा,ऑक्टेवियन को भी अपनी ओर येन केन प्रकारेण कर, खुद की जान बचाकर फिर से मिस्र की सत्ता प्राप्त करने की योजना पर कार्य कर रही थीं। किंतु जनश्रुति के अनुसार ऑक्टेवियन क्लियोपेट्रा के रूप-जाल पर आसक्त नहीं हुआ और उसने एक डंकवाले जंतु के माध्यम से उसकी हत्या कर दी।तब वह 39 वर्ष की थीं।लेकिन यह कितना सच है, इसमें संशय है।क्लियोपेट्रा की मौत के बाद मिस्र, रोमन साम्राज्य का हिस्सा बन गया।
हालांकि ऐसा भी मानते हैं कि उसने एंथोनी को धोखा नहीं दिया। उसने एंथोनी के सामने ही सर्प से डंक लगवाकर आत्महत्या कर ली थी और जब एंथोनी ने देखा कि क्लियोपेट्रा मर गई है तब उसने भी आत्महत्या कर ली, क्योंकि वे जानते थे कि हमें कभी भी ऑक्टेवियन या उसके सैनिक मार देंगे।
लंबे समय से यह माना जाता रहा है कि मिस्र की पूर्व रानी की यूनानी मूल की थीं लेकिन विशेषज्ञों ने उनकी बहन के अवशेषों के आधार पर यह पता लगाया है कि उनके भाई-बहन आधे अफ्रीकी थे। इसका मतलब कि क्लियोपेट्रा यूनानी कॉकेशियन नस्ल की नहीं, बल्कि आधी अफ्रीकी थीं।
पूर्व में बीबीसी ने इस पर एक वृत्तचित्र क्लियोपाट्रा ‘पोर्ट्रेट ऑफ ए किलर’ को प्रदर्शित किया था। इसमें तुर्की के इफेसस स्थित एक मकबरे में मानव अवशेषों की खोजों का विश्लेषण किया गया है। मकबरे का फोरेंसिक तकनीक के साथ मानव विज्ञान और वास्तुशास्त्रीय अध्ययन करने के बाद विशेषज्ञ इस बात पर सहमत हुए कि इसमें पाया गया कि नरकंकाल क्लियोपेट्रा की बहन राजकुमारी अरसीनोई का अवशेष है।
इस अध्ययन दल का नेतृत्व करने वाले ऑस्ट्रियाई विज्ञान अकादमी के पुरातत्व विज्ञानी हाइक थुयेर ने बताया कि जांच से यह पता चला है कि अरसीनोई की मां एक अफ्रीकी थी।
क्लियोपेट्रा का जीवन जिस तरह रहस्यमय रहा उसी तरह उसकी मौत भी एक रहस्य हैं।
जर्मनी के एक शोधकर्ता ने दावा किया है कि प्राचीन मिस्र की विख्यात महारानी क्लियोपेट्रा की मौत सर्पदंश से नहीं, बल्कि अधिक मात्रा में मादक पदार्थों के सेवन से हुई थी।
यूनिवर्सिटी ऑफ ट्राइवर के इतिहासकार और प्रोफेसर क्रिस्टॉफ शेफर ने अपने आधुनिक शोध में दावा किया है कि अफीम और हेम्लाक (सफेद फूलों वाले विषैले पौधे) के मिश्रण के सेवन की वजह से उनकी मौत हुई थी।
क्लियोपेट्रा का निधन अगस्त 30 ईसा पूर्व में हुआ था और हमेशा से यही समझा जाता रहा है कि उनकी मौत कोबरा सांप के काटने से हुई थी।
समाचार-पत्र ‘टेलीग्राफ’ ने क्रिस्टॉफ के हवाले से कहा, ‘महारानी क्लियोपेट्रा अपनी खूबसूरती के लिए मशहूर थीं और इस बात की संभावना कम ही है कि उसने मौत के इंतजार में खुद को बदसूरत बनने दिया होगा।
क्लियोपेट्रा ने संभवत: अफीम, हेम्लॉक और अन्य पदार्थों के मिश्रण का सेवन किया होगा। उस काल में इस घोल को चंद घंटों के भीतर पीड़ारहित मृत्यु के लिए पिया जाता था जबकि सर्पदंश की स्थिति में कई बार प्राण निकलने में कई-कई दिन लग जाते हैं।
क्लियोपेट्रा को सत्ता के लिए किसी भी हद तक जाने वाली एक ऐसी रहस्यमयी और काफी हद तक क्रूर रानी के रूप में याद किया जाता है जिसका अंत भी रहस्यमय ही रहा।
शिखा पोरवाल
वैंकूवर, कनाड़ा
लेखक परिचय
संस्थापिका “मनस्विनी ” हिन्दी साहित्य ग्रुप ।लेखन और पत्रकारिता से जुड़ी । आलेख, कहानी, कविता, कह मुकरी ,दोहें व हायकु का लेखन।अंतराष्ट्रीय मंच संचालिका।वैंकूवर में हिन्दी साहित्य सृजन में सक्रिय व कई पुरस्कारों से व 10 से ज्यादा विश्व रिकॉर्ड से सम्मानित।साहित्य श्री सम्मान से नवाजा गया 2021 में।साझा पुस्तकें प्रकाशित ।