प्रतिभाशाली रानी- एलिजाबेथ प्रथम
वे गगन सी विस्तृत,सूरज सी ओजस्वी और ध्रुव तारे सी उज्ज्वल थीं । वे उच्च चारित्रिक मूल्यों वाली सशक्त महिला थीं और एक महान रानी थी।
एलिजाबेथ प्रथम का जन्म 7 सितम्बर, 1533 को पैलेस ऑफ प्लेसेंटिया ,ग्रीनविच, इंग्लैंड में हुआ था। हेनरी अष्टम और उनकी दूसरी पत्नी ऐनी बोलिन की बेटी थी ,एलिजाबेथ। एलिजाबेथ प्रथम ब्रिटेन के ट्युडर राजवंश की पाँचवी और आख़री सम्राट थीं। उन्होनें कभी शादी नहीं की और न ही इनकी कोई संतान हुई इसलिए इन्हें “कुंवारी रानी” (Virgin Queen, वर्जिन क्वीन) के नाम से भी जाना जाता था।
कैथरीन कैम्परनोवेन जिन्हें कैट ऐश्ले के नाम से भी जाना जाता है, 1537 में एलिज़ाबेथ की अध्यापिका थीं और वे इसके साथ ही उनकी एक अच्छी दोस्त की तरह भी थी। कैम्परनोवेन ने एलिज़ाबेथ को चार भाषाएँ फ्रेंच, फ्लेमिश, इटैलियन और स्पेनिश सिखायीं। इसके बाद एलिज़ाबेथ ने ग्रिंडेल और रोज़र ऐश्कम से शिक्षा ग्रहण की जो उस समय के प्रसिद्ध शाही शिक्षक थे। 1550 में अपनी शिक्षा पूरी करने के समय वह उस वक्त की पीढ़ी की सबसे शिक्षित महिलाओ में से एक थीं। माना जाता है कि अपने जीवन के अंतिम समय तक उन्होने वेल्श, कॉर्निश, स्कॉटिश व आइरिश भाषा भी सीख ली थीं। उन्हें नृत्य, शिकार और घुड़सवारी का भी शौक था ।
14 जनवरी 1559 को एलिज़ाबेथ को 25 साल की उम्र में ही इंग्लैंड की महारानी बना दिया गया । अपनी सौतेली बहन और उस समय की रानी मैरी की मृत्यु के बाद एलिज़ाबेथ ही अंग्रेजी सिंहासन की इकलौती वंशज थीं।
राजतिलक के बाद शहर में भ्रमण के दौरान नागरिकों द्वारा उनका भव्य स्वागत किया गया। कठोर प्रोटेस्टेंट विचारों वाले नागरिकों के लिये ये बड़ी जीत थी। एलिज़ाबेथ ने भी अपनी प्रजा से बहुत स्नेह भरा व्यवहार किया। उनके अपने नागरिकों या प्रज़ा के प्रति इस खुलेआम स्नेह ने जनता को अभिभूत कर दिया था। 15 जनवरी 1559 को वेस्टमिंस्टर ऐबी में एलिज़ाबेथ को कार्लिस्ले के कैथोलिक पादरी ओवेन ओग्लेथोर्प के द्वारा राजमुकुट पहनाया गया और रानी घोषित किया गया। जिसके बाद एक जश्न भरे मौहाल में उन्हें जनता के समक्ष पेश किया गया
रानी के रूप में उनकी पहली कार्यवाहियों में एक प्रोटेस्टेंट चर्च की स्थापना थी,जिसमें वह सर्वोच्च गवर्नर बनी । एलिजाबेथ अपने पिता और सौतेले भाई एडवर्ड और मेरी की तुलना में उदार शासक थी। वह विदेशी मामलों में बहुत सतर्क थी । आशंका थी कि कहीं फ्रांस और स्पेन मिलकर इंग्लैंड पर आक्रमण ना कर दें पर अपनी कूटनीति से उन्होने ऐसा होने नहीं दिया बल्कि फ्रांस और स्पेन की प्रमुख शक्तियों के साथ युद्धाभ्यास करती थीं ।
जैसे जैसे वह बड़ी होने लगी अपने कौमार्य के लिये प्रसिद्ध होने लगी ।उनके चारो ओर व्यक्तित्व का ऐसा पंथ विकसित हुआ जो उस समय के चित्रों, तमाशों और साहित्य में मनाया जाने लगा। एलिज़ाबेथ के शासनकाल को “एलिज़बेटन युग” के रूप में जाना जाता है ।
एलिजाबेथ प्रथम के कुशल शासन के दौरान इंग्लैण्ड ने कई अहम उपलब्धियों को हासिल किया था और वह एक वैश्विक सामाजिक शक्ति के रूप में उभरा। कहा जाता है कि एलिजाबेथ प्रथम एक अच्छी लेखिका भी थीं। उन्होंने कई ओजपूर्ण भाषण भी लिखे थे। उन्होंने 1558 में स्पेनी अभियान के समय अपने सैनिकों को तैयार करने के लिए भाषण भी दिया था।
इस काल में विलियम शेक्सपियर और क्रिस्टोफर मार्लो जैसे नाटककारों के नेतृत्व में अंग्रेजी नाटक फलने फूलने लगे ।
एलिज़ाबेथ के शासनकाल में इंग्लैंड की नौसेना का पर्याप्त विकास हुआ। इस समय अमेरिका की खोज हो चुकी थी। यहाँ के नौसैनिकों ने अनेक साहसिक यात्रायें की और अमेरिका में वर्जीनिया नामक बस्ती बसाई। सर फ्राँसिस ड्रेक, वाइस एडमिरल (1540-27 जनवरी, 1596) महारानी एलिजाबेथ के समय का एक जहाज कप्तान, समुद्री लुटेरा, खोजी और राजनीतिज्ञ था। महारानी एलिजाबेथ प्रथम ने 1581 में उसे ‘नाइटहुड’ प्रदान किया ।
ऐसे समय में जब सरकार जर्जर हालत में थी और पड़ोसी राजाओं ने उनके सिंहासन को खतरे में डाल दिया था , एलिज़ाबेथ को एक करिश्माई कलाकार (ग्लोरियाना) और एक उत्तरजीवी (गुड क्वीन बेस) के रूप पहचान मिली । 44 वर्षों के लम्बे शासनकाल मे उन्होने देश को स्थिरता और पहचान दिलाई।
उनके शासन काल के अंत में,आर्थिक और सैन्य समस्याओ की एक श्रृंखला ने उनकी लोकप्रियता को कम कर दिया ।
24 मार्च 1603 को 69 वर्ष की आयु में महारानी एलिजाबेथ प्रथम की सरे, इंग्लैंड में मृत्यु हो गई। अपनी मृत्यु तक वह इंग्लैंड और आयरलैंड की रानी रहीं । एलिज़ाबेथ का नाम इतिहास में स्वर्णाक्षरों में अंकित है ।
मंजु श्रीवास्तव ‘मन’
अमेरिका
लेखक परिचय
कत्थक-नृत्यांगना ,साहित्यकार, समाजसेविका
अध्यक्ष -महिला काव्यमंच वर्जीनिया
अध्यक्ष-वरिष्ठ नागरिक काव्यमंच अमेरिका
ग्लोबल एम्बेसडर-गृहस्वामिनी ई पत्रिका
मैं झरनों का गीत हूँ ,मैं मीरा की पीर हूँ ।
शब्दों से है प्रीत मुझे ,भावों से अमीर हूँ ।