लंग कैंसर
पुरी दुनिया में होने वाले कैंसरों में सबसे अधिक लंग कैंसर के रोगी ही होते हैं ।हमारा शरीर अनेक प्रकार के अलग-अलग कोशिकाओं से निर्मित है, साधारणतः हमारा शरीर आवश्यकतानुसार नई कोशिकाओं के उत्पादन को नियंत्रित करता है ,जब कुछ कोशिकाएँ उत्पादन की नियंत्रण से बाहर हो जाए, बदलना शुरू कर देती है तब कैंसर विकसित होता है।ये असामान्य कोशिकाएं ,जिन्हें कैंसर कोशिका भी कहा जाता है ,यह बढ़ने और फैलाने लगती हैं जिससे एक गांठ बनने लगती है ।इसे ट्यूमर कहा जाता है।
लंग कैंसर के प्रकार
* यदि कैंसर लंग से शुरू हो तो उसे प्राइमरी लंग कैंसर कहते हैं
* यदि यह शरीर के दूसरे हिस्से में शुरू होकर फेफड़ों को प्रभावित करने के लिए फैलता है ,तो इसे सेकंडरी कैंसर कहते हैं ।वैसे तो, विभिन्न प्रकार के लंग कैंसर होते हैं लेकिन दो प्रकार के मुख्य हैं –
*नॉन स्मॉल सेल लंग कैंसर (एन.एस.सी.एल.सी.):यह सबसे सामान्य प्रकार का लंग कैंसर हैं।जिसे प्रायः तीन सामान्य प्रकार में विभक्त किया गया है ।
एडेनोकार्सिनोमा,
स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा
लरज़ सेल कार्सिनोमा
स्माल सेल लंग कैंसर(एम.सी.एल.सी)
यह बहुत कम ही पाया जाता है ।यह आम तौर पर अधिक तेजी से फैलता है और यह अक्सर उन्नत स्टेज पर ही उसका पता चलता है।तब इसका निदान किया जाता है ।
लंग कैंसर के कारण
*कोई भी व्यक्ति लंग कैंसर का शिकार हो सकता है, लेकिन लगभग 90% मामले में ध्रूमपान कैंसर की सबसे बड़ी वजह मानी जाती है ।सिगरेट की संख्या और ध्रूमपान करने के वर्षों की संख्या पर निर्भर करता है, लंग कैंसर होने का खतरा ।ध्रूमपान न केवल सिगरेट पीने वालों, बल्कि धुएं के संपर्क में आने वाले अन्य व्यक्तियों को भी प्रभावित करता है ।
*लंबी अवधि में धुएँ में श्वास लेने से भी लंग कैंसर होने का खतरा बढ़ सकता है।अन्य पर्यावरणीय कारक जैसे एस्बेस्टोस के कारण भी लंग कैंसर होने का खतरा बढ़ सकता है ।
*जिन लोगों ने कभी ध्रूमपान नहीं किया है वे एक विशेष प्रकार की लंग कैंसर से पीड़ित हो सकते हैं जिन्हें एडनोकार्किक नोमा कहा जाता है ।
*सामान्यतः 60 वर्ष की आयु से अधिक की उम्र वाले लोगों को प्रभावित करता है, कम उम्र में इसका पाएँ जाना दुर्लभ हैं।
लंग कैंसर के लक्षण
आरंभिक अवस्था में लंग कैंसर का पता नहीं चलता है। कभी-कभी लंग के कैंसर का पता किसी और वजह से कराए गए छाती के एक्स-रे से चलता है ,एक्स-रे या स्कैन कराने पर इसका पता चलता है।
* खांसी
*छाती में दर्द
*थकान महसूस करना
*भूख में कमी
*वजन घटना
*कर्कश आवाज का होना
आपके बलगम या कफ में रक्त
यदि ट्यूमर लंग के बाहर फैल गया है तो इसका लक्षण छाती से बिल्कुल नहीं आ सकता है, इस प्रकार के मामले में निम्नलिखित लक्षण शामिल हो सकता हैं।
* पीठ दर्द
*हड्डी का दर्द या फ्रैक्चर
*नर्व या ब्रेन को नुकसान होता है, जिससे चलने, बात करने, व्यवहार या याददाश्त को प्रभावित कर सकता है।
* उलझन
*निगलने में कठिनाई
*पीलिया :जब आपकी त्वचा या आंखें पीले हो जाए।
निदान की तरीके:
निम्नलिखित तरीके से लंग कैंसर का निदान संभव है-
सीटी स्कैन
यह आपके शरीर के अंदर की एक विस्तृत छवि बनाने के लिए एक विशेष एक्स-रे मशीन का उपयोग करता है ।
बायोप्सी : यह तब होता है जब उत्तक या टिशु का एक नमूना ट्यूमर से लिया जाता है ।
ब्रोन्कोस्कोपी:
यह तब होता है जब आपके डॉक्टर आपके फेफड़ों के अंदर देखने के लिए एक पतली, लचीली टेलिस्कोप का उपयोग करते हैं, जिसे ब्रोंस्कोस्कोप कहा जाता है।ब्रोंस्कोस्कोप आपकी नाक या मुंह के माध्यम से और आपके वाइंडपिप नीचे जाता है यदि ट्यूमर दिखाई देता है ,तो आपका डॉक्टर एक नमूना ले सकता है।
एंडोब्रॉनचाय अल्ट्रासाउंड (ईबीयूएस):
यह ब्रोंकोस्कोपी के समान है ।यह एक पतली ,लचीली ट्यूब का उपयोग ब्रोंस्कोस्कोप की तरह करता है, जिसमें टिप में एक अल्ट्रासाउंड स्कैनर है ।यह मुंह के माध्यम से विंडपाइप में पारित किया जाता है ।
पीईटी -सीटी स्कैन
यह एक दर्दनाक प्रक्रिया है जहां आपको थोड़ा रेडियोधर्मी पदार्थ से इंजेक्ट किया जाता है जिसे स्कैनर द्वारा पता लगाया जा सकता है कि कैंसर आपके शरीर के अन्य क्षेत्रों में फैल गया है।
इन डॉक्टरों की टीम मिलकर लंग कैंसर का उपचार करने में समक्ष हैं। टीम में कैंसरोलॉजिस्ट (कैंसर विशेषज्ञ) रेडियोलॉजिस्ट( रेडियोलॉजी में विशेषज्ञ जो कि कैंसर का निदान और इलाज करने के लिए उपयोग किया जाता है ) और सर्जन शामिल हैं। वे मरीज के परीक्षण के परिणामों की चर्चा करने और मरीज की देखभाल की योजना के लिए मिलते हैं ।
लंग कैंसर का उपचार:
पिछले 10 वर्षों में लंग कैंसर के उपचार में बहुत प्रगति हुई है। आमतौर पर लोगों को एक समय में एक से अधिक उपचार दिए जाते हैं और आपके इलाज के कई कोर्सेस हो सकते हैं।
लंग कैंसर के लिए मुख्य उपचार हैं
सर्जरी: सर्जरी के कुछ अलग प्रकार के होते हैं। सर्जन आपके लंच या आपके पूरे लंच के एक भाग को निकाल सकता है ।
औषधि चिकित्सा :
जिसमें शामिल हैं-
कीमोथेरेपी: ये दवाएं हैं जो कैंसर कोशिकाओं पर हमला करते हैं ।उन्हें सीधे आपके रक्तप्रवाह में एक ड्रिप के माध्यम से वितरित किया जा सकता है या आपके पास इंजेक्शन या टेबलेट्स हो सकती हैं।
लक्षित उपचार :ये दवाएं हैं जो आनुवंशिक उत्परिवर्तन को रोकते हैं जो उस प्रकार के लंग कैंसर का कारण बनती हैं।
इम्युनोथेरेपीज़: ये दवाएं हैं जो कैंसर कोशिकाओं की प्रतिक्रिया बढ़ाने के लिए शरीर में प्रतिरक्षा प्रणाली पर काम करती हैं।
रेडियोथैरेपी : यह उपचार कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए उच्च ऊर्जा एक्स-रे का उपयोग करता है।
प्रो.(डॉ) रंजीत कुमार सिंह
एम.डी ,एम.आर.सी.पी, एफ.आर.सी.पी
कंसल्टेंट रेस्पिरेटरी फिजिशियन
एम.आर.सी.पी एग्जामिनर और प्रोफेसर यूनिवर्सिटी ऑफ बर्मिंघम, यू.के