तड़प

तड़प

यादों की धूप में बैठी अंजली का मन साइबेरिया के पंछी की तरह इस शहर से उस शहर उड़ रहा है । अपनी बालकनी से ही न जाने कहाँ कहाँ की सैर कर रही है ।आज उसका मन फिर से विचलित हो रहा था। उसे आज राज की यादें आ रही थी ।

गाँव की संकरी गलियों के बीच से होते हुए कॉलेज , बाज़ार होते हुए चहकते- चहकते हैं जाना , किसी चलचित्र की भाँति ऑखो के सामने दिख रहा था । मन आज पुरानी यादों को लेकर आकाश में उड़ान भरने को बेचैन हो रहा था ।

रह रह कर कॉलेज की सखियाँ और सर याद आ रहे थे ।हथुआ और आस पास के गाँव से लगभग बीस सहेलियों में अंजलि सबसे सुंदर थी । सभी की निगाहें उस पर ठहर जाती थी। वह सुंदर होने के साथ-साथ चुलबुली, पढ़ने में तेज, हंसमुख, मृदुभाषी होना उसके सौन्दर्य में चाँद लगा देता था ।

फ़र्स्ट इयर पास कर सेकंड ईयर में जाते ही अंजली से राज की मुलाक़ात लाइब्रेरी में किताब लेते समय हुई थी ।दोनों ने एक दूसरे को देखा और न जाने किस कशिश में दोनों ही बंध गए ।दोनों की घनिष्ठता धीरे धीरे बढ़ने लगी और ये घनिष्ठता कब प्यार में बदल गया दोनों ही नहीं जान सके। समय की धारा बिना रुके अविरल गति से बह रहा था , ठीक इसी तरह इनका प्यार भी अपनी रौ में बह रहा था ।

छह फ़ीट लंबा राज काफ़ी स्मार्ट काफ़ी मिलनसार था। फिर तो इन दोनों की दुनिया ही कुछ अलग हो गई। बला की ख़ूबसूरत अंजलि और भी दमकने लगी थी। ख़ुद को रेखा और राज को अमिताभ समझ दोनों ही अपनी दुनिया में मगन थे ।36 इंच की मोहरी का बेलबॉटम और लाइन वाली शर्ट पहन कर अमिताभ ही दिखता था ।

राज़ के मुख पर हर वक़्त ये गाना — मेरा प्यार वो है कि मर कर भी तुमको जुदा अपनी बाहों से होने न देगा , इस गाने पर सभी कॉलेज की लड़कियाँ व्याकुल सी हो जाती थी। गाँव का माहौल था दोनों काफ़ी सतर्कता से प्यार की पिंगे बढ़ा रहे थे ।

बी. ए. करने के बाद राज मुंबई चला गया आगे की पढ़ाई के लिए, इधर अंजलि भी यक्षिणी की तरह अपनी पढ़ाई में जुटी रही। दोनों ही अपने लक्ष्य पर टिके हुए थे ।पत्रों का आदान प्रदान भी जारी रहा ।समय का क्रुर निर्णय किसी को भी नहीं भाता है ।

कुछ समय बाद राज का पत्र आना बंद हो गया ।विचलित हो अंजलि होशोहवास खोने लगी ,दुखों का पहाड़ तो उस समय गिरा अंजलि पर जब कॉलेज में यह ख़बर फैली की राज अब नहीं रहा इस दुनिया में ।

एक्सिडेंट में उसकी मृत्यु हो गई है।विक्षिप्त सी हो गई अंजली।घर वालों को कुछ भी समझ नहीं आ रहा था, माजरा क्या है। एक से एक डॉक्टर को दिखाने के बाद भी उसकी हालत में सुधार नहीं हो रही थी , सालों लग गया है उसे राज को भुलाने में ।

माता पिता ने अपने धर्म का पालन करते हुए अंजलि की शादी बहुत ही रईस घर में कर दीं ,जहाँ भरा पूरा परिवार था और सुख साधन की कमी नहीं थी ।समय के साथ प्यारे प्यारे दो बच्चे हुए ।आज सभी बड़े होकर अपने घर गृहस्थी में मगन है ।

पति की मृत्यु ने अंजली को फिर से अकेला कर दिया है ।अंजलि बीते हुए पल को समेट रहीं है और यादों की धूप सेंक रही है ।

 

नीरज वर्मा

रॉची,भारत

0