प्रेम -बंधन

प्रेम -बंधन

दो प्राणों का है अटूट ये बंधन ।
दो श्वांसों का श्वांसों से अनुबंध ।
दो प्राणों की मधुर आलाप है
दो प्राणों की ये वेदना है।

प्रेम ..मौन की बोलती भाषा
प्रेम …हृदय की है परिभाषा ।
दो नयनों का स्मित -हास
जीवन का है जो दीर्घ श्वास।

प्रेम … राधा का विरह गान
प्रेम …मीरा का मिलन प्रान।
शाश्वत मिलन का बन आग्रह
सम दृष्टि सा पुण्य अंतः विग्रह ।

प्रगाढ़ता में निहित कैसा बंध
अनंत ईरा पर लिखा अनुबंध
पूर्ण होकर भी रहा जो अधूरा
कहाँ प्राप्त होगा प्रेम समर्पण।


मनोरमा जैन पाखी
भिंड ,मध्य प्रदेश

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