कैसे कहूँ!
कैसे कहूँ कि मैं तुमसे कितना प्यार करता हूँ?
कैसे कहूं!
हर वक़्त पास आने का – तुम्हारा,
मैं इंतेजार करता हूँ।
बिना कुछ कहे ही तुम
कितना कुछ कह जाती हो?
फिर भी तुम्हारे मुस्कुराने का,
मैं इंतेजार करता हूँ।
कैसे कहूँ कि मैं तुमसे कितना प्यार करता हूँ?
कैसे कहूं!
तुम्हारे आँखो के चमकते नूर
मुझसे कितना कुछ
कह जाते हैं।
और, उन पलकों के इशारे मुझे,
बहुत कुछ समझाते हैं।
बात तो तुम्हारी, हर बार
बिना कहे ही मैं
समझ जाता हूँ।
कुछ तुम पर छोड़ देता हूँ,
कुछ खुद पर छोड़ देता हूँ।
कैसे कहूँ कि मैं तुमसे कितना प्यार करता हूँ?
कैसे कहूं!
तुम्हारा हर बार का
यह कहना
कि,
आती हूँ मैं,
मुझमें नई आश भर देता है।
और एक ठंढी आह भर कर
मैं अपने दिल को समझाता हूँ।
कैसे कहूँ कि मैं तुमसे कितना प्यार करता हूँ?
कैसे कहूं!
सुबह उठकर तुम्हारे हाथों की
वह नींबू-अदरक वाली काली चाय,
काम पर जाते वक्त
तुम्हारे गालों की वह लाली
हाय!
सोचता हूँ कुछ पल
और तुम्हारे साथ,
रूक ही मैं जाता हूँ।
फिर मैं खुद को समझाता हूँ,
और अपने काम पर
चला जाता हूँ
कैसे कहूँ कि मैं तुमसे कितना प्यार करता हूँ?
कैसे कहूं!
डॉ. सतीश कुमार गोस्वामी ‘जमशेदपुरी’
जमशेदपुर, झारखंड