बसंत बहार

बसंत बहार

पीली सरसों पीले खेत
बसन्ती छटा में रंगा
धरती का परिवेश

पवन सुगन्धित
मन आह्लादित
बसंत बहार सुनाये रे…

पतंग रंगा,
नीला आकाश
“वो काटा” से गूंजा जाए

अमराई बौरें
झूम झूम डोलें
मन मयूर बहका जाए रे…

सरस्वती पूजन
मन्त्रोच्चारण, कानों में
शहद सा घुलता जाए

हिय हुलसै,मन उडे
बचपन की गलियों में
पहुंचा जाए रे…


डॉली कक्कड़ मेहरोत्रा
कानपुर, उत्तर प्रदेश

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