अच्छा लगता है

अच्छा लगता है

सुनो न ,
बहुत दिन से कुछ कहना है तुमसे!
पर उस बात का ज़ायका
मुँह में घुलता है कुछ इस तरह,
वो बात कह ही नहीं पाती ।

सुनो तो…..
तुम अच्छे लगते हो
अब ये मत पूछना क्यों :
इन फैक्ट मेरी बात पूरी होने दो पहले
फिर कुछ भी कहना तुम !

तुमको जब तलाशती हैं आंखें
और फिर देखकर तुम्हे
जो सुकून आता है उनमें
वो सुकून अच्छा लगता है ।।

कभी पार्क में वॉक करते हुए
कहीं दुपट्टा अटक जाय मेरा
तो पलटते हुए तुम्हारा ध्यान आता है
(तुम दुपट्टा खींच कर बात करते हो न)
वो ध्यान अच्छा लगता है

कहीं सुनकर या पढ़कर तुम्हारा नाम,
जब लम्हे भर को धड़कन ठहर जाती है
और सांस तेज़ हो जाती है
(वो तुम नहीं हो पता होता है पर)
वो ठहरी धड़कन अच्छी लगती है

सुनो ……… …….
अगर यही इश्क है तो
तो

ये इश्क अच्छा लगता है

तुम मुंह उधर करो
मुझे तुमसे कुछ कहना है

यही इश्क वाली बात को …

पुष्पिंदरा चगती भंडारी
दिल्ली

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