करवा चौथ का चाँद आया
देख सखी दूर हुआ तमस
मन कमल खिला उद्गार संग
घिरी थी कालिमा चहुँ ओर
नभ दमके सखी चाँद आया
खिल रहा था चाँद हर माह
निराशा भय का जैसा प्रहर
अद्भुत ज्योति है हटा धुंध
करवा चौथ का चाँद आया
चाँदनी की ओढ़नी लहराते
नयन खिले स्निग्ध मुस्कान
अमृत पान कर धरती हँसी
कृष्णराधा संग चाँद आया
रोम रोम है पुलकित मृदुलता
सौभाग्य व्रत हृदय को भाया
श्रृंगार ऋतु अंग अंग हर्षाये
अंकुरित आशा ले चाँद आया
सौभाग्य प्रियतम का है दर्शन
घर आलोकिक सुधा रश्मियाँ
हँसे पिया मनुहार मन भाया
प्रेम आलाप लिए चाँद आया
करवा चौथ चाँद देव हर घर उगे
सुखशांति अखंड सौभाग्य मिले
आशाओं की किरणें अमृतमयी
विहंसे सौंदर्य सखी चाँद आया।
डॉ आशा गुप्ता ‘श्रेया’
जमशेदपुर, झारखंड