मेरा चाँद
आज है करवा चौथ की रात
कितनी मदमाती ये रात है
हर साल होता है मुझे
चौथ के चाँद का इन्तज़ार
छलनी से होता है साजन का
बड़ी अदा से दीदार
आसमान पर है चौथ का चाँद
मुझको उसमें मेरा प्यारा पिया
बस तू ही तू नजर आता है।
करुँ मैं आज सोलह शृंगार
सजाऊँ माथे पे तेरे नाम की बिन्दी
माँग में टिका, नाक में नथ
गले में डाल के तेरा दिया हार
हाथों की चूड़ियाँ कर रही है खनखन
पायल भी करे है झंकार
ऐसे ही मैं करती रहूँ तेरे लिये शृंगार
और बढ़ती रहे आप की उम्र हजार
पूजा का थाल और दीप लिये
उतारूँ मैं आपकी आरती
मिले मुझे आपका साथ सातों जन्म
यही ईश्वर से मैं दुआ करती
हो आपकी लम्बी उम्र
सजी रहे सिन्दूर की खुशी से मेरी माँग
बना रहे हमदोनों में इतना ही प्यार
चलते रहें हम, अपने प्यार के सफर पर
मेरी कामना है पहन कर लाल चुनर
सजा के माँग में सिन्दूर
बस आपके ही कांधों पर
हो मेरा अन्तिम सफर!!
अनिता निधि
जमशेदपुर,झारखंड