कलयुगी सावित्री

कलयुगी सावित्री

रोज की तरह उस दिन भी धनिया काम करने आई तो बहुत बुझी बेजान सी दिख रही थी ।मैं अभी अभी स्कूल से लौटी थी इसलिए मैंने उस पर ध्यान नहीं दिया वह जूठे बर्तन उठाकर उन्हें साफ करने चल पड़ी ।मैं थोड़ी देर आराम करने के लिए बिस्तर पर लेट गई अक्सर लेटते ही मुझे हल्की सी नींद आ जाती थी पर आज मुझे नींद नहीं आ रही थी स्कूल के बच्चों की शोर और मस्ती अभी भी महसूस कर रही थी ।फिर ना जाने क्यों अचानक मेरा ध्यान धनिया पड़ गया उसके पास किचन में पहुंचकर कुछ कहती उससे पहले ही धनिया मुझे देख कर फूट-फूट कर रोने लगी मैं घबरा गई उसे पास बुला कर पानी पिलाया और सहजता से पूछ बैठी क्या बात है।तुम पहले कभी ऐसे रोती न थी आज क्या हुआ है ।उसकी आंखों के आंसू तो जैसे रुक ही नहीं रहे थे और गला भर गया था ।बोलना बहुत कुछ चाहती थी पर बोल नहीं पा रही थी। जब थोड़ी शांत हुई तो उसने बताया कि उसका पति आधी रात को अपने आप को एक कमरे में बंद करके एसिड की पूरी बोतल पी गया। मैं अवाक् उसकी तरफ देखती रह गई। क्यों आखिर क्यों कोई अपने आप एसिड पियेगा कोई तो बात होगी । मैंनेधनिया को कुरेदना शुरू किया ।उसने बताया मेमसाहब मेरे पति को शराब पीने की बुरी आदत है जब से मेरी शादी हुई है तब से मैंने उसे शराब पीते देखा है ।मैंने पूछा कोई काम धंधा नहीं करता। उसने कहा कहाँ मेमसाब वह तो शराब पीकर दिन भर घर में पड़ा रहता है शादी के तुरंत बाद ही मैं घर के खर्चे के लिए सब घरों में बर्तन साफ करने का काम करने लगी ।मेरे तीन बच्चे हैं जिसकी देखभाल मैं ही करती हूं ।मेरा पति मुझे मारता पीटता है। शुरू शुरू में तो मुझे कुछ समझ में ना आया कि मैं क्या करूं कभी मायके चली जाती तो वहां भी एक हफ्ते के बाद मां पूछने लगती कि अपने घर कब जाओगी। मुझे समझ नहीं आता कि मेरा अपना घर कहां है ,और मेरे अपने कौन है ।धीरे धीरे समय के साथ मैं बदलती गई घर घर जाकर बर्तन साफ करके बच्चों को पढ़ाने लगी ।जब वह मुझसे बात कर रही थी तो मैंने महसूस किया की धनिया बहुत स्वाभिमानी है ।मैंने उसकी बात को बीच में ही काटते हुए कहा । तुम अकेले बच्चों का पालन पोषण कर रही हो तो तुम्हारे ससुराल वाले तुम लोगों का ध्यान नहीं रखते ।उसने कड़वा सा मुँह बनाते हुए कहा कि मेरे ससुराल में मेरी सास और एक ननद है उस ननद की शादी में मैंने ही पैसे दिए थे। अब मेरे पास इतने पैसे नहीं है इसलिए मेरी सास ने मुझे घर से निकाल दिया।अब मैं अलग अपने बच्चों और अपने पति के साथ रहती हूं ।मेरे पति के मारने से तंग आकर मैंने एक उपाय निकाल लिया है। मैंने उत्सुकता से पूछा यह क्या उपाय है। उसने कहा रोज मैं काम करने आने से पहले बीस रुपये उसके हाथ पर रख देती हूं बस व इन रुपयों से शराब पीकर सोता रहता है। रात में कभी कभी जब बहुत परेशान करता है तब भी मैं कुछ पैसे उसे दे देती हूं। मैंने कहा इस तरह से तो तुम पैसे देख कर उसकी आदत को छुड़ाने की बजाए बढ़ा रही हो ।यह ठीक नहीं है ।उसने कहा क्या करूं मेम साहब दिन भर काम करके मैं थक जाती हूं रात में उसकी मार सह नहीं सकती इसलिए मैं उसे पैसे दे देती हूं। दो दिन पहले की बात है उसकी तबीयत बहुत खराब हो गई मैं उसे डॉक्टर के पास ले गई तो डॉक्टर साहब ने समझाया कि अगर तुम शराब की एक बूंद भी पियोगे तो जिंदा नहीं बचोगे ।घर आकर मैंने भी उसे बहुत समझाया। मुझे धनिया पर अब थोड़ा गुस्सा आने लगा मैंने कहा जब तुम्हें वह इतना मारता पीटता है तो तू उसे डॉक्टर के पास क्यों ले गई छोड़ दो उसे उसके हाल पर। धनिया थोड़ा सकुचाते हुए बोली ऐसे नहीं छोड़ सकती मैम साहब है तो आखिर वह मेरा पति बीमार है तो मुझे ही देखना पड़ेगा ।मेरे सामने उन औरतों की छवि घूमने लगी जो गुस्से में शायद मेरी तरह ही बात करती पर अनपढ़ धनिया की बातें सुन संस्कार की बात करने वाली ना जाने कितने औरतों की कथनी और करनी का अंतर समझ में आने लगा। धनिया की तरफ चाय का प्याला देते हुए मैंने कहा अगर तुम्हारा पति बीमार था तो उसे एसिड पीने की जरूरत क्या थी। धनिया ने कहा क्या बताऊं मैम साहब मेरा बेटा अब बड़ा हो गया है और उसके सामने उसकी मां को कोई भी मारे या परेशान करें तो वह सह नहीं पाता चाहे वो उसके पिता ही क्यू न हो। उसने अपने पिता को बहुत बुरा भला कहा यहां तक कह दिया की आप मर जाते तो मेरी मां और हम सब शांति से बाकी की जिंदगी गुजार सकते ।शायद यही बात उसके मन पर असर कर गई और कल रात उसने एसिड की पूरी बोतल पीकर जान देने की कोशिश की पर किस्मत अच्छी थी कि वह बच गया ।शायद मैंने और मेरे बच्चों ने कुछ अच्छे कर्म किए हैं जिसकी वजह से वह बच गया ।मैंउसकी तरफ देख मन ही मन उसका शुक्रिया अदा करने लगी जिसने आज मुझे वह पाठ पढ़ाया जिसके आगे मेरी सारी डिग्रियां फ़ेल थी।मैंने उसे अपने एक छात्र का फोन नंबर दिया जो आज एक मशहूर डॉक्टर है। वहां जाकर इलाज करवाने की सलाह दी। अच्छे इलाज मिलने की संभावना से उसकी आंखों में चमक आ गई। वह मुझे शुक्रिया कहते हुए दूसरे घर में काम करने चल पड़ी।आज उसने मुझे उस सावित्री की याद दिला दी जिसने सत्यवान के जीवन के लिए यमराज को भी न छोड़ा।धनिया कलयुगी सावित्री ही तो है।

अर्चना तिवारी
गुजरात, भारत

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