संवाद

संवाद

“अरि ओ पिंकी,सुना है तेरे पड़ोस में एक नई फैमली रहने आई है,कैसा है वह परिवार?”
रिंकी ने घर मे घुसते ही अपनी सहेली पिंकी से पूछा।
पिंकी अपनी प्यारी सहेली को देख बहुत खुश हुई,और बोली” मैं सोंच ही रही थी तुम्हें इस नये पड़ोसी के विषय में बताऊँ, जैसा कि तुम्हें पता है
कि दोनो परिवार का घर का दीवार सटा हुआ है फिर भी पड़ोस के घर से कोई आवाज नही आती, बहुत ही शांति प्रिय है वे लोग,सुना है कि सास बहु और नन्दे सभी साथ ही रहते है।इतने शांति प्रिय लोग पहली बार आये है,वरना इसके पहले जो परिवार थे,उनके घर से आये दिन सास बहू के झगड़े की आवाज से सारे पड़ोसी परेशान रहते थे।इस नये परिवार को आये एक माह से ज्यादा हो गया,परन्तु एक आवाज बाहर नही आता।बहुत ही मृदु भाषी और शांति प्रिय है वे लोग।
उसकी बाते समाप्त होते ही पोंछा लगाते हुये कमली ने एक रहोस्यघाटन किया-“नही मालकिन ऐसी बात नही है,शायद आपको पता नही,उस सास बहु और नन्द या यो कहे की पूरे परिवार में इतना अधिक झगड़ा है कि कोई किसी से संवाद ही नही करता।
ऐसा सुनते ही पिंकी सोचने लगी परिवार में संवाद होना कितना जरूरी है।उसे याद आया बरसों पहले की वह घटना जब उसके पड़ोस में रहने वाली 81 वर्षिय बुढ़ी दादी का आवाज सिर्फ इसलिए बंद हो गया था कि घर में उससे बेटा बहु या पोता पोती कोई उससे बात ही नही करता था।ऐसी संवादहिनता के कारण डाक्टर ने बताया कि उसके गले की आवाज ही चले गया है।
वह सोचने लगी हर हाल में अपने सभी सगे संबधियों बसे संवाद कायम रखेगी।


आरती श्रीवास्तव
जमशेदपुर, भारत
प्रकाशित पुस्तके-15 सांझा संकलन
पांच प्रकाशन के राह में, एकल संग्रह प्रकाशन के राह में।
लेखन विधा-छंदमुक्त, छंदयुक्त, मुक्तक दोहा,सोरठा, नवगीत,कह मुकरी,वर्ण पिरामिड, हाइकुसोदेका,तांका,शायली छंद,उल्लाला,सवैया,संस्मरण,यात्रा वृत्तांत, लघुकथा, आदि।

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