लक्ष्मी 

 

 

लक्ष्मी 

 

बहुत प्यार करता था घनश्याम अपनी नई नवेली दुल्हन लक्ष्मी से और क्यों न करे, लक्ष्मी थी ही सर्वगुण – सम्पन्न।

एक तरफ तो सास – ससुर का मान सम्मान रखती,मन भर सेवा करती तो दूसरी तरफ पूरे गांव में पहली मैट्रिक पास बहु थी ,पूरा गांव उसका आदर करता था।

घर के काम निपटाने के बाद लक्ष्मी का समय नहीं कटता था इसलिए उसने घनश्याम को कहां की वो आगे पढ़ना चाहती है। सास- ससुर और घनश्याम की रजामंदी से लक्ष्मी को शहर के एक महाविद्यालय में दाखिला मिल गया।

सचमुच लक्ष्मी बहुत ही मेहनती लड़की थी।वो समय पर घर के काम निपटाती और वक्त निकालकर अपने कॉलेज की पढ़ाई करती। एक दिन लक्ष्मी ने अख़बार में सब इंस्पेक्टर के पद का विज्ञापन देखा चूकि घनश्याम पुलिस विभाग में एक हवलदार था तो उसे बड़ा मन था कि उसका पति भी इस पद पर काम करे । उसने जब घनश्याम को इस पद के लिए आवेदन भरने को कहां तो घनश्याम ने अपने साथ – साथ लक्ष्मी का भी आवेदन पत्र भर दिया।

शायद किस्मत में यही लिखा था, घनश्याम और लक्ष्मी दोनों का ही इस पद पर चयन हो गया।लक्ष्मी की नियुक्ति तो गांव के समीप के थाने पर ही हुई पंरतु घनश्याम को सब- इंस्पेक्टर बनकर दूसरे गांव का थाना मिला। लक्ष्मी की सफलता पर पूरे गांव को अभिमान था।

सास- ससुर तो उसे अब घनश्याम से ज्यादा चाहने लगे थे। जब से लक्ष्मी थाने में इंस्पेक्टर बन कर आई उसने कानून की रक्षा करते हुए अनेकों सामाजिक कार्यों में भी अपना सहयोग प्रदान किया।

उसने सरपंच जी के साथ मिलकर गांव में पक्की सड़क और शौचालयों के निर्माण का कार्य शुरू किया। उसने गांव की बहिन- बेटियों को पढ़ाई के लिए जागृत किया, अब वो गांव की बहु नहीं बेटी थी।

इस बीच घनश्याम भी हर सप्ताह घर आता और लक्ष्मी के कार्यों की प्रशंसा सुन फूला न समाता।

पर कहते हैं कि अच्छे लोग भगवान को भी प्यारे होते हैं ,न जाने किसकी नज़र लग गई लक्ष्मी को…एक सप्ताह हो गया बुखार है कि उतरता नहीं, खून की जांच भी करवाई , यहां तक कि गांव की आस्था को मान देते हुए सासु मां ने झाड़ा- फूंकी भी करवा ली परंतु कुछ फ़ायदा नहीं हुआ।

घनश्याम को पता चला तो उसने लक्ष्मी को शहर ले जाने का फ़ैसला किया।” पूरे पांच दिन हो गए है बिस्तर पर लेटे – लेटे क्या कह रहा है डॉक्टर ,बताओ न घनश्याम.. मुझे बहुत कमज़ोरी लग रही है, क्या में अब कभी ठीक नहीं होंगी।”लक्ष्मी ने घनश्याम के कंधे पर सर झुकाते हुए पूछा ।

घनश्याम बेचारा क्या कहता उसे तो आज सुबह जब डॉक्टर ने लक्ष्मी की रिपोर्ट दिखाई तो उसके होश उड़ गए, बड़ी मुश्किल से उसने अपने आप को संभाले रखा था ,आखिरकार कैसे हो गया लक्ष्मी को ब्लड कैंसर और पता भी चला तो अब जब बीमारी लास्ट स्टेज पर पहुंच गई।

घनश्याम नहीं चाहता था कि लक्ष्मी अपनी बीमारी के बारे में कुछ जाने , लक्ष्मी की गिरती हालत देखकर घनश्याम उसे अस्पताल से घर ले आया। उसे पता था कि अब किसी भी दिन उसका और लक्ष्मी का साथ छूट सकता है। उसने घरवालों और गांव वालों को भी समझा दिया था कि कोई भी लक्ष्मी के सामने रोए न, उससे जो भी मिले हंसकर मिले।घनश्याम पूरे जी जान से लक्ष्मी की सेवा में लगा रहता उसे अपने हाथों से खाना खिलाता,उसके बालों को सहलाता ,लक्ष्मी कई बार पूछती आख़िर क्या हो गया है मुझे ? वो हंसकर कहता कुछ नहीं हुआ मेरी लक्ष्मी को बस थोड़ी सी कमज़ोरी है, ठीक हो जाओगी। सुबह तो उजाले का प्रतीक होती है ,लेकिन आज की सुबह घनश्याम के जीवन में सदा के लिए अंधेरा कर गई.. लक्ष्मी अनंत यात्रा पर चली गई।

पूरे गांव में लक्ष्मी की मृत्यु से मातम पसर गया। लक्ष्मी को जैसे ही बिस्तर से उठाया गया उसके सिरहाने एक चिठ्ठी मिली, उसमें लिखा हुआ था-

 

मेरे प्यारे घनश्याम

मैं अपनी बीमारी के बारे में जान चुकी थी, गांव लौटने से पहले डॉक्टर ने मुझे सब कुछ बता दिया था, फिर भी अंजान होने का दिखावा करती रही क्योंकि मैं अपने अंतिम समय में तुम्हें उदास देखना नहीं चाहती थी।

मन तो नहीं था तुम्हें और अम्मा – बाबूजी को छोड़ कर जाने का परंतु ईश्वर के फैसले के आगे मजबूर हूं। अपनी अन्तिम इच्छा तुम्हारे सामने रख रहीं हूं, आशा है तुम अपनी लक्ष्मी को निराश नहीं करोगे।

पहली इच्छा ..मेरी आंखें और किडनी दान करने के बाद ही दाह संस्कार करना।

दूसरी इच्छा..अब तक जो कमाया उस कमाई से गांव की लड़कियों के लिए एक कॉलेज बनवा देना।

तीसरी और अंतिम इच्छा..अम्मा और बाबूजी का ख्याल रखना , अनाथ- आश्रम की लड़की को बहु स्वीकारना और फिर उसे बेटी जैसा प्यार करना, मैं धन्य हो गई ऐसे सास – ससुर पाकर। अपना ख्याल रखना,हो सके तो दूसरा विवाह कर लेना अकेले मत रहना।

सब गांव वालों को मेरा अंतिम प्रणाम ।

तुम्हारी बदनसीब

लक्ष्मी

 

डॉ. वर्षा महेश “गरिमा”

मुंबई,भारत

 

 

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