खाद पानी
“….वो डॉक्टर अजीब है। बोली, विनी, ठीक है। अरे! ऐसे कैसे? पहले तो पढ़ाई में अव्वल, म्यूजिक में आगे, स्केटिंग में बढ़िया, स्टोरी टेलिंग गज़ब की, जर्मन सीखने में अच्छी, कराटे, कॉडिंग में भी रुचि, साइंस ओलम्पियाड़ और अबेकस में बढ़ीया। ज़रा ड्रॉइंग कॉम्पिटिशन में नाम ना आया, तो सबमें डब्बा गुल। वो हम दोनों जैसी इंटेलिजेंट है, फिर जाने क्या हो गया? अगले सेशन के लिए विनीत को भी बुलाया है।” तिथि लगातार बोलती जा रही थी। विनी चुपचाप अपने कमरे में चली गई। गुरूवार को डॉक्टर का अगला सेशन था।
विनी बारह साल की एक प्यारी, समझदार, खुशमिजाज लड़की है। बचपन से सबकी लाड़ली। हर सुख-सुविधा समय से पहले ही थी उसके पास। कॉम्पिटिशन में, उसने अच्छी पेंटिंग बनाई, परंतु वो नहीं जीती। साथ ही ड्राइंग क्लास में भी मैडम उसकी कमियां निकालती। मैडम ने समझाया था “तुम थोड़ा ध्यान दो। अपनी कमी पर काम करो।” बस विनी ने ठान लिया कि कॉम्पिटिशन जीत के मैडम को बताएगी।
‘ऐसे कैसे हार, सकती है वो? उसको सब आता है। सभी उसकी तारीफ करते। ये कॉम्पिटिशन कैसे हार गई? क्या कमी थी उसकी पेंटिंग में?’ यही सोच, मायूस रहती
विनीत के आने पर तिथि ने सब बताया और अच्छी आर्ट टीचर को ढूंढ़ने कहा। विनीत ने हां बोला।
सोमवार को विनी नानी के घर गई थी, तिथि ऑफिस से आते समय उसे लेने पहुंची, दरवाजे पर आकर ठिठक गई।
नाना : विनी, कोई बात तुमको परेशान कर रही है?
नानी : हमें बताओ। कुछ हुआ है स्कूल में? किसी ने कुछ कहा? या किया?
विनी : नहीं नानी। नाना बस मुझे ये समझ नहीं आ रहा मैं उस ड्राइंग कॉम्पिटिशन में हार कैसे गई? जीत जाती फिर बताती, मैडम को, जिन्होंने गलती सुधारने कहा।
नाना : क्या तुमने अपनी गलती सुधारने की कोशिश की?
विनी : क्या गलती नाना? मैं सब चीजें अच्छे से करती हूं। मुझे लगता है मैडम की बेटी के हर विषय में मुझसे कम नंबर आते हैं, वो भी मेरे ही साथ पढ़ती है तो..
नाना नानी एक दूसरे को देखने लगे। कुछ कहते उससे पहले तिथि आई, विनी को लेकर चली गई।
अलगे ही दिन तिथि सीधा विनी के स्कूल, प्रिंसिपल से मिलने पहुंची।
प्रिंसिपल : आइए मिसेज बजाज, कैसी हैं आप? विनी बजाज, बहुत ही प्रतिभावान बच्ची है।
तिथि : थैंक्यू मैडम। पर आपकी ध्वनि मैडम के कारण सब खराब हो रहा है।
प्रिंसिपल : ध्वनि मैडम? क्या हुआ?
तिथि : मेरी बेटी को पूरी कक्षा के सामने डांटकर उसके आत्मसम्मान को ठेस पहुंचाई। उसका आत्मविश्वास हिल गया। ये सब चलता है यहां? विनी इतनी डिप्रेशन में है। हमें डॉक्टर के पास जाना पड़ा। इन बातों का कितना गहरा प्रभाव पड़ा है उसपर!
प्रिंसिपल : वॉट? अगर ध्वनि मैडम ने ऐसा किया है तो…
तिथि : अगर? मैं क्यों ध्वनि मैडम की झूठी शिकायत करूंगी? चाहिए तो मैं डॉक्टर का नंबर देती हूॅं। आप ध्वनि मैडम को समझाइए।
तिथि के जाते ही ध्वनि मैडम को डांट पड़ी। उनकी बेटी का सेक्शन बदला गया और विनी से माफी भी मंगवाई गई।
विनी की चित्रकला की कॉचिंग भी शुरू हो गई। तय दिन तीनों डॉक्टर के यहां पहुंच गए। डॉक्टर ने तीनों से बात की। विनी को बाहर भेजा।
डॉक्टर : मि. बजाज, आप लोग ऐसा कैसे कर सकते हैं? आप लोगों को दिख नहीं रहा, आपकी बेटी हार को स्वीकार नहीं रही। इसका सीधा कारण आप दोनों हैं। आप दोनों, उसे इतना ज्यादा लाड़ प्यार दे रहे हैं कि आपको वो कभी गलत लगती ही नहीं, इसलिए उसने भी मान लिया है, वो गलती कर ही नहीं सकती, ऊपर से, उसे इतने सारे क्लासेज में डाल रखा है, उसका भी एक मानसिक दबाव है बच्ची पर। समझिए आप दोनों, सब संपूर्ण नहीं होते, सबमें कमी होती है, और ये कोई बुराई नहीं है। मैं आपसे ये कहना चाह रही हूं कि….
विनीत ने बीच में बात काटते हुए कहा : …कि डॉक्टर आपने अपना काम ठीक से नहीं किया और आपको बुरा लगा। आपको लग रहा है, कहीं आगे चलकर आपका नाम खराब ना हो, इसलिए आप हमें दोष दे रही हैं? वाह! आप अपने काम पर ज़रा ध्यान दें। चलो तिथि।
रात्रि भोज पर, दादा दादी ने पूछा डॉक्टर ने क्या कहा। इस पर विनीत ने कहा “कुछ खास नहीं, अब सब ठीक है।”
विनी में ध्वनि मैडम के माफी मांगने पर अहंकार आ गया। अब वो अपनी सभी उपलब्धियों की चर्चा करती, कहां क्या जीता, क्या नया सीखा, किसने कितनी तारीफ की आदि।
विनी के बदलते व्यवहार को देखकर दादा-दादी चिंतित हुए। इस विषय पर विनीत के माता पिता ने तिथि के माता पिता से बात की। दोनों परिवारों के बड़ों ने विनी की मनोचिकित्सक डॉक्टर से बात कर आपस में कुछ तय किया।
अगले दिन विनीत की मॉं ने तिथि से कहा “बेटा, बहुत दिनों से तुम और विनी अपने मॉं पापा के यहॉं नहीं गए हो, जा आओ।”
तिथि बोली “ठीक है मॉं, जैसा आप कहें, मुझे भी एक ब्रेक चाहिए था।”
उनके जाने के बाद मॉं ने विनीत से “बेटा एक काम 15 दिन तक लगातार करना है। करेगा?”
विनीत : क्या मां? बस समय खपत वाला ना हो, आपको पता है, बहुत काम है।
मां : काम तो सरल है, ये देख तेरा पसंदीदा छोटा सा खिलौना (टेडी बियर) इसे…
विनीत : इसे साथ लेकर घूमना है हर समय? क्या मां वो वायरल वीडियो वाला काम?
मां : नहीं। सुना कर। इससे बात करनी है, सुबह और शाम कि क्या क्या किया, कैसा रहा दिन।
विनीत आश्चर्य से मां को देखते हुए बोला क्यों?
मां : मैं कह रही हूं इसलिए।
विनीत : ठीक है मां। कर लूंगा, इसे मेरे कमरे में रखवा देना।
मां : नहीं ये गेस्ट रूम में रहेगा। तुम्हें इसके पास जाना है।
विनीत : ठीक है।
उधर तिथि और विनी नाना-नानी के यहॉं पहुॅंचे।
तिथि के पिता ने तिथि को एक पौधा, खाद आदि देते हुए कहा “15 दिन तुम इसका ध्यान रखना, देखे कितना मजबूत होता है? ध्यान रहे…”
तिथि : ध्यान रहे, इसे खाद पानी दोगी पर धूप से दूर रखोगी तो मुरझा जाएगा। क्या पापा आप भी!
पापा : हां, बेटा, तुम समझदार हो। पौधे को हर तरह का मिनरल जमीन की मिट्टी से नहीं मिलेगा, इसलिए तरह तरह की खाद है। देखकर देना।
विनीत, एक दो दिन तो याद करके खिलौने से बात करने रूम तक गया सुबह जाने पहले और रात को आकर। फिर कभी भूल जाता, कभी देर हो जाती, कभी थकान के मारे आलस में नहीं जाता।
तिथि ने जहां धूप ठीक से आती पौधा वहां रखा, ज्यादा झुलस ना जाए उसका ध्यान रखा, पानी नियम से देती और रोज़ सब तरह की खाद भी देती। शुरू में पौधा हरा भरा था पर जल्द मुरझाने लगा।
(15 दिन बाद)
मां : बेटा वो अपने खिलौने से तू ने बातें की?
विनीत : हां मां, लगभग रोज़ ही की।
मां : अच्छा! जा जाकर ले आ।
पापा ने उसके गले में लगे रीकॉर्डर को प्ले किया। उसमें कुछ ही बातें थी। बाकी ज्यादातर एक ही पंक्ति “कैसे हो? आज बहुत थक गया हूं, कल बात करते हैं”
पापा : ये क्या है विनीत?
विनीत : अरे पापा! आपको पता है, ऑफिस का स्ट्रैस, बॉस का दबाव, कभी उनका डांटना, ये भी कोई बताने की चीज है?
मां : हमें पता है, क्योंकि हमने ये अनुभव किया है पर विनी? उससे तुम कितनी बात कर पाते हो? सारा समय काम में व्यस्त। बाहर की दुनिया जो तुम लोग उसे दिखाते वो उसके लिए परफेक्ट है, जिसमें सब अच्छा है। जब तुम ही उसे नहीं बताओगे कि काम को समय पर करना पड़ता है, दबाव में भी काम होता है…
पापा : कभी बिना गलती के भी सुनना पड़ता है, गलती पर सबके सामने डांट पड़ती है, तो उसे कैसे पता पड़ेगा? तुम उसके हीरो हो। हीरो हर स्थिति से गुजरता है, उसे भी बताओ, वर्ना वो तो यही मानेगी ऐसा कुछ नहीं होता।
विनीत चुप था, अब समझा , विनी को क्या चाहिए।
इधर तिथि को पापा ने अपना पौधा लाने कहा।
मां : अरे तिथि, तेरा पौधा तो मुरझा गया।
तिथि : हां मां। मैंने तो इसे सही जगह रखा और सभी तरह की खाद भी दी रोज़।
पापा : सब तरह की खाद दे डाली रोज़?
तिथि : हॉं पापा, सब तरह के मिनरल्स के लिए थोड़ी थोड़ी सब डाली।
पापा : पर क्यों? हर पौधे को सारी खाद नहीं दे सकते। सबकी अपनी क्षमता है। सबकी अपनी पसंद है। एक ही पौधे में सारे तत्व मिल जाते तो फिर तरह-तरह पौधे फूल, फल सब्जियां सबकी जरूरत ही नहीं पड़ती। तुम से ये बेवकूफी की उम्मीद ना थी तिथि।
तिथि झेंप गई। बहुत दिनों बाद पापा ने उसे झिड़की दी थी और वो भी विनी के सामने।
मॉं : समयानुसार और आवश्यकता अनुसार खाद पानी दिया जाता है, तभी पौधे का मजबूत वृक्ष बनता है।
तिथि : सही कहा मॉं। पापा, तभी मेरा पौधा मुरझा गया।
मॉं, पापा साथ में बोले “हमने तो अपने पौधे को सब, समय पर ही दिया। तूफानों से जूझने भी दिया, सही खाद पानी भी दी, तभी तो हमारा पौधा अब एक मजबूत पेड़ बना है, हर परिस्थिति से गुजर जाता है। क्या तुम अपने पौधे को मजबूत पेड़ बनते नहीं देखना चाहती? तिथि के सर पर हाथ फेरते हुए विनी के ओर इंगित किया।
तिथि अब समझी जो मॉं पापा उसे बता रहे थे।
तिथि और विनीत को एहसास हुआ विनी को लेकर वो क्या गलती कर रहे थे।
सच में, खाद पानी की सही आवश्यकता और ज्ञान बहुत जरूरी है, ताकि हर पौधा अपनी क्षमता से बढ़ता रहे।
तिथि और विनीत धीरे-धीरे अपने व्यवहार में बदलाव लाने लगे, जिसका असर विनी पर दिखने लगा।
अंकिता बाहेती
क़तर