सच्चा साथी

सच्चा साथी

रीना मण्डल के घर से जोर जोर से लड़ने झगड़ने की आवाज़ आ रही थी । रात के सन्नाटे में तो आवाज़ और भी तेज सुनाई देती है।कुछ देर के बाद आवाजें बन्द हो गयी और रीना के रोने की हल्की-हल्की सी आवाजें आने लगीं । यह उनकेे घर की लगभग हर तीसरे-चौथे दिन की कहानी हो चुकी थी सो कोई पड़ोसी भी बीच बचाव करने के लिए नहीं आता था ।

रीना एक पढ़ी-लिखी संभ्रांत महिला थी।चेहरे मोहरे से भी ठीक-ठाक ही थी।यही नहीं सरकारी नौकरी भी करती थी।करीब तीन साल पहले उसकी शादी विनय मण्डल से हुई थी जो की एक बेरोजगार था । शादी के एक साल बाद रीना की नौकरी सरकारी स्कूल में लग गयी । अब बेरोजगार पतिदेव पत्नी की नौकरी से ही जलने लगे । बेचारी रीना पूरी तनख्वाह लाकर सास के आगे रख देती राह खर्च तथा अपनी जरूरत की चीजों के लिए भी उसे सास और पतिदेव से ही मांगना पड़ता था । यही नहीं घर का सारा काम भी उसे ही करना पड़ता था । स्कूल से घर आने के बाद घर के सारे काम करती ,खाना बनाती, खिलाती फिर सासू मां और पतिदेव के पैर भी दबाने के लिए भी उसपर दबाव डाला जाता।

शुरूआती दौर में तो जितना बन सका उसने किया फिर इन्कार भी करने लगी।अब यहीं से मारपीट और गाली-गलौज चालू हो गया ।

“अरे रीना तेरे चेहरे पर यह सूजन कैसे हैं ?” साथी अध्यापिका ने पूछा।

” कुछ नहीं बस यूं ही दीवार से टकरा गयी थी ।” रीना ने कहा।

” जब देखो तब तू दीवार से टकराती ही रहती है ,क्या माजरा है घर में सब ठीक है ना ?” दूसरी सहेली ने बोल ही दिया ।

“नहीं नहीं ऐसी कोई बात नहीं है ,कमजोरी के कारण ऐसा होता है ।” उसने सफाई पेश की ।

घर-बाहर सभी जगह लोग उसको लेकर तरह-तरह की बातें करने लगे थे। जैसा की समाज का नियम है लोग स्त्री को ही दोषी ठहराते हैं । यहां भी वही हुआ लोग आपस में बात करते की रीना का चरित्र ही ठीक नहीं होगा तभी तो उसके घरवाले उससे चिढ़ते हैं ।

उसके घर में करीब दो साल बाद एक बेटी का जन्म हुआ । रीना की सास और पति दोनों ही बेटी के नाम पर बिदक ही गये अब बेटी को लेकर घर में कलह चालू हो गयी । बेटी का जन्म भी समय से पहले हुआ था सो वह कमजोर भी बहुत थी । उसकी ठीक से देखभाल ना होने के कारण तथा उचित इलाज न मिल पाने के कारण वह सात महीने से ज़्यादा नहीं चल सकी।उसके जाने के बाद रीना पूरी तरह टूट ही गई । अब वह अपने पहनने ओढ़ने पर भी खास ध्यान नहीं देती थी ।

इसी समय सेमीनार के लिए सभी शिक्षकों को स्कूल से करीब चालीस किमी दूर जाना था । रीना भी उसी ग्रुप में थी ! सेमीनार से लौटकर आने में रात के करीब नौ बजे गये । सेमीनार के लिए स्कूलों से तीन तीन बसें भरकर गयी थीं । अध्यापक अध्यापिकाएं दोनों ही थे । पर रीना के पतिदेव क्रोध से आगबबूला हो रहे थे । सभी के सामने उन्होंने रीना पर गालियों की बौछार लगा दी । प्रिंसिपल को भी दो-चार खरी-खोटी सुना डाली ।यही नहीं वहीं सबके ही सामने रीना को दो-चार हाथ भी लगा दिए । साथी अध्यापकों के रोकने पर सीधे-सीधे चरित्र पर लांछन लगाने लगा । यही नहीं वह सीधे-सीधे डिवोर्स की धमकी भी देने लगा !

अत्याचार सहन करने की भी एक सीमा होती है । आखिर रीना की भी सहनशक्ति अब जवाब देने लगी थी । वह वहां से अपनी एक सहेली के घर चली गयी । दो-चार दिन बाद ही किराए का एक घर ले लिया तथा अपने भाई को अपने पास बुला लिया । उसका पति उसके इस जवाब के बारे में सोच भी नहीं सकता था । उसके समझ के अनुसार तो औरत है कहाँ जायेगी । किंतु रीना के सब्र की सीमा टूट चुकी थी । कुछ समय बाद उसने डिवोर्स के लिए एप्लाई कर दिया तथा पुलिस में भी अपनी जान को ख़तरा होने का रिपोर्ट लिखवा दिया। उसका पति उसके घर के सामने आकर गालियाँ देकर जाता । कुछ समय बाद लोगों ने उसे पुलिस की धमकी दी तब कहीं जाकर उसपर लगाम लगा ।आखिर किसी तरह उसे उसके दुष्ट पति से तलाक मिल ही गया ।

कुछ समय बाद उसके साथ ही पढ़ने वाला महेंद्र उसके घर आया । अपने साथ पढ़ने वाले साथी को देखकर न जाने क्यों रीना रो पड़ी । उसने एक-एक करके सारी बातें उसे बता डालीं । महेंद्र स्कूल के दिनों से ही रीना को चाहता था किन्तु सीधा-सादा होने के कारण वह अपनी बात रीना को नहीं कह सका था । रीना की शादी के बाद वह पढ़ाई के लिए दूसरे शहर चला जाता है ।रीना को भी उसके बारे में कोई जानकारी नहीं थी । उसे लगा की उसकी भी शादी हो गई होगी और एक दो बच्चे भी होंगे ।

“आप कहाँ नौकरी करते हैं ?” बहुत देर बाद रीना ने उसके बारे में पूछा।

यहीं दिल्ली में ही नौकरी लगी है , इंजीनियर हूँ । महेंद्र ने जवाब दिया ।

अरे वाह ! बहुत अच्छा । रीना के चेहरे पर थोड़ी-सी खुशी छलक पड़ी ।

“अरे महेंद्र आपका परिवार भी तो साथ ही होगा ,देखो मैंने अभी तक उनके बारे में पूछा ही नहीं ।”रीना ने कहा।

हाँ, यहाँ से करीब दस किलोमीटर दूर रहता हूँ । माँ भी साथ रहती हैं । महेंद्र ने कहा ।

रात का खाना खाकर तथा जल्दी आने का वादा करके महेंद्र अपने घर चला गया । रीना भी अपने काम पर ध्यान देने लगी । करीब दो हफ्ते बाद रीना की माँ व पिताजी गाँव से रीना के पास आये।उसी समय महेंद्र भी अपनी माँ के साथ आया।रीना सबको एक साथ देखकर बहुत खुश हुई ।

“रीना मुझे तुमसे कुछ बात करनी है ।” महेंद्र ने रीना से कहा !

“बताओ क्या बात करनी है ?”-रीना ने चहककर पूछा ।

“मैं तुमसे विवाह करना चाहता हूँ , देखो मना मत करना रीना । “महेंद्र ने रीना की ओर बड़ी आशापूर्ण नजरों से देखा ।

रीना को इस प्रश्न की उम्मीद ही नहीं थी ।उस ने चारों तरफ नजर उठाकर देखा सभी उसी की तरफ ही देख रहे थे ,माँ पिता भाई वह महेंद्र की माँ सभी ।

“आपको सब कुछ पता है फिर भी।” रीना की आँखों से अश्रुधारा बह चली ।

“तो इसमें तुम्हारा क्या दोष है ?” महेंद्र की माँ रीना के आँसू पोंछते हुए बोली।

“हाँ रीना , हाँ कर दो बेटा , महेंद्र से हम लोगों की बात हो चुकी है । वह तुम्हें बहुत चाहता है ,वह तुम्हें बहुत सुखी रखेगा ।” रीना की माँ ने कहा साथ में पिता वह भाई ने भी सहमति में सिर हिलाया।

“रीना के पास अब कोई जवाब नहीं था ।” उसने सहमति में सिर झुका दिया ।

महेंद्र की खुशी का ठिकाना ही ना रहा । उसने आगे बढ़कर रीना की अँगुली में अँगूठी पहना दी ।रीना की मां ने भी रीना के हाथ में महेंद्र को पहनाने के लिए अँगूठी थमा दी ।सभी के चेहरे खुशी से खिल उठे ।

कुछ समय बाद दोनों की धूमधाम से शादी हो गई। रीना ने महेंद्र के पास अपना ट्रांसफर करा लिया और अब दोनों बहुत ही खुश हैं । इतना कष्ट काटने के बाद ईश्वर ने रीना की झोली में खुशियां ही खुशियां डाल दी थी ।

डॉ.सरला सिंह ‘स्निग्धा’

दिल्ली,भारत

 

 

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