“आजादी – उत्सव या कर्त्तव्य “

 ” आजादी – उत्सव या कर्त्तव्य “

आजादी के बहत्तर साल , बोल कर देखिए , एक सुकून और गर्व का एहसास होगा , 15 अगस्त 2019 को हमारा देश आजादी की बहत्तरहवीं वर्षगाँठ मनाएगा।
बहुत मुश्किलों और संघर्षों के दौर से निकल कर आज हम उस जगह हैं जहाँ हम ये कह सकते हैं कि अब हमारा विकास हमारे हाथ में है । पर आज भी हमारे मन में वही प्रश्न कौंधता है कि क्या हमने वाकई विकास किया है या हम आज भी मानसिक रूप से गुलाम ही हैं ? आजादी की ओर बढ़ते भारत के रास्ते में धार्मिक विवाद, राष्ट्रवाद और असहिष्णुता ने अपने काँटें बो रखे थे । देशभक्तों की अमर गाथाओं और विभाजित हिस्सों के दर्द की दास्तानों से धरती पट गयी थी। स्वतंत्रता की चाह में किये गये कई राजनैतिक फैसलों से भारतवासी उग्र भी हो गये थे व निराश भी , पर स्वालम्बन की चाह लिए देश को प्रगति पथ की ओर उन्मुख होना ही था ।

“कभी वह दिन भी आएगा जब अपना राज देखेंगे,
जब अपनी ही जमीं होगी जब अपना ही आसमां होगा।।’

पं. जगदंबा प्रसाद मिश्र की इस कालजयी कविता की ये पंक्तियाँ, हमें उन दिनों के आजादी के ज़ज्बे को महसूस करातीं हैं और इसी ज़ज्बे के साथ भारत के वीर सपूतों की वजह से 15 अगस्त 1947 को सारी मुश्किलातों, लाखों क्रान्तिकारियों की शहादत और जंग ए आजादी की कठिनाइयों को पार करते हुये देश ब्रिटिश शासन की कैद से आजाद हो गया।

देश में आज के हालातों के मद्देनज़र ये कहना कि सब ठीक है कतई मुनासिब नहीं , पर हाँ देश प्रगति कर रहा है ,हाल ही में हमारे देश में कई ऐसी घटनाएं हुई हैं जिनपर सभी देशवासियों को गर्व है। चंद्रयान 2 लॉन्च, विंग कमांडर अभिनंदन की बहादुरी, हीमा दास का लगातार कई गोल्ड मेडल जीतने , तीन तलाक कानूनी बिल पारित होने व धारा 370 खत्म करने , जैसी महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ भारत के हिस्से आई हैं ।हमारा देश आज भी गौरवपूर्ण इतिहास लिख रहा है। आज हमारा देश माननीय प्रधानमंत्री जी के सार्थक प्रयासों से अपनी एक नई पहचान बनाने में सफल हुआ है ।

पर फिर भी देश दुनियाँ के मानचित्र पर रेखाओं से खींचा गया कोई निश्चित जल थल का मात्र टुकड़ा नहीं है। देश देशवासियों से बनता है जिनके बीच परस्पर सहयोग और सौहाद्र की भावना होनी बहुत जरूरी है । बाहरी तत्वों से खतरा उतना नहीं होता जितना आंतरिक पनपते विद्रोह और द्वेष की वजह से अपने अपनों से होता है , जरूरी है कि आज का युवा सजग प्रहरी की तरह हो।

चार्ल्स एफ़ ब्राउन ने कहा था “ हम सभी महात्मा गाँधी तो नहीं बन सकते पर एक सच्चे देशभक्त तो बन ही सकते हैं “।

आज हम आजादी के दिन सोशल मीडिया पर अपनी सलामियाँ ठोक कर अपने कर्तव्यों से इति श्री कर लेते हैं , ये कहाँ तक और कितना न्यायोचित्त है , देश के प्रति हमारी जिम्मेदारियों में कुछ नहीं तो हम एक सहयोग का माहौल ही बना लें तो शायद देश की एकता और अखण्डता कायम बनी रहे , हम हिंसा , द्वेष , आरोप प्रत्यारोप और भड़काऊ, विरोध के स्वर को आग और हवा की उपलब्धता कराने के बजाय यदि सहयोग ,सद्भावना के विकास करें तो सर्वहित सर्वकल्याण के साथ देश उन्नति कर सकेगा ।

खैर , आज 15 अगस्त 2019 पर देशभक्ति के गीत गुनगुना कर हम अपने मन और दिल में अपनी मातृभूमि / भारती माँ को नेह और आदर से सिंचित करें और सद्भाव समाहित कर उनकी जय जयकार करें ।

“आजादी की वर्षगाँठ पर , देश हुआ मतवाला है
हर दिल आज गिरजाघर है हर मन आज शिवाला है”।

 

 

प्रांजलि अवस्थी

साहित्यकार,दिल्ली

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