हम स्वतंत्र हैं

हम स्वतंत्र हैं

हम स्वतंत्र हैं….
क्योंकि…..
प्रतिवर्ष स्वतंत्रता दिवस….
हर्षोल्लास से मना रहे हैं।

सड़कें गड्ढों से पटी पड़ी
तो क्या???
रेल-बस ठसाठस भरी हुई
तो क्या???
बुलेट ट्रेन तो आ रही है
हम स्वतंत्र हैं…

गरीबी, अशिक्षा, मंहगाई
अब बहुरूपिये हो चले,
सरकारी आंकड़ों में…
नज़र ना आएंगे…
वैसे यत्र-तत्र-सर्वत्र
नज़र ही नज़र आयेंगे
कारण???
हम स्वतंत्र हैं….

भ्रष्टाचार की गति
4 G से भी तेज हो चली
सौ-पचास लेने वाले अब
हज़ार-पाँच सौ में और
पाँच-दस हजार वाले
मात्र लाख-दो लाख में
संतुष्ट हो जाते हैं
कारण???
हम स्वतंत्र हैं ना

अंग्रेजों की भांति
आज भी…
अधीनस्थ कर्मचारियों
के स्वाभिमान..
अफसरों के पैरों तले
रौंदे जाते हैं..
फिर भी हम स्वतंत्र हैं
प्रति वर्ष स्वतंत्रता दिवस
जो मनाते हैं…

गाँव-शहर में…
गली-मोहल्लों में…
गंदगी के अंबार देख…
निराश क्यों होना???
स्वच्छता सर्वेक्षण में
अव्वल तो आ रहे ना???
जी हाँ!हम स्वतंत्र हैं
प्रतिवर्ष स्वतंत्रता दिवस
जो मना रहे…

मिट्टी-फूस के घर..
पक्के हो चले,
खेत-खलिहान…
धुँए उगल रहे…
नदियां खून के..
आँसू बहा रही।
प्रदूषित जल,
विषाक्त भोजन…
और जहरीली हवा को..
ग्रहण करने को विवश..
आज हम स्वतंत्र हैं
कारण???
प्रतिवर्ष स्वतंत्रता दिवस
जो मना रहे….

 

डॉ सुधा मिश्रा

साहित्यकार और शिक्षिका

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