“कलम आज उनकी जय बोल “
प्राण हाथों मे हैं लेकर रहते
निडर दुश्मन से भीड़ हैं जाते
रक्षा थल वायु जल में करते
देश पे जान न्यौछावर जय बोल
कलम आज उनकी जय बोल
दृढ़ संकल्प वीरता भाषा उनके
त्याग तपस्या से वे ना मुख मोड़े
निश्छल जीत उनके मन लुभाये
माता भारती उनके हृदय अनमोल
कलम आज उनकी जय बोल
सुझबुझ जिनकी है सर्वोत्तम
ना हारे जो ना पीड़ा से घबड़ाये
जोश होश को ना कभी बिसराये
धरती माँ का कर्ज चुकाये
कलम आज उनकी जय बोल
वे वीर वीरांगना इस माटी के
सदियों से इतिहास रहे बनाते
नत उनके सम्मु्ख दुनियावाले
शौर्य उनका है तिरंगा का मोल
कलम आज उनकी जय बोल ।
डॉ आशा गुप्ता ‘श्रेया’
गायनेकोलॉजिस्ट और वरिष्ठ साहित्यकार