वन्दें मातरम् 

वन्दें मातरम् 
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आओ बच्चों तुम्हें सिखाएं
जीवन है श्रमदान की
माँ भारती की मिट्टी है
मिट्टी है बलिदान की
वन्दें मातरम् वन्दें मातरम्

पावन पुण्य प्रेम धरा है
अन्न धन से पूर्ण भरा है
माँ भारती की रक्षा करना
रक्षा गृह किसान की
वन्दें मातरम् वन्दे मातरम्

लहरों पर कश्ती खेना
तुफ़ा दीया जला लेना
हर दम आगे बढ़ जाना
स्वाभिमान हिन्दूस्तान की
वंन्दे मातरम् वन्दे मातरम्

आँधी या तुफ़ान हो
स्वराज हमारा नारा है
दुश्मन को ललकारा है
जीवन है बलिदान की
वंन्दे मातरम् वन्दे मातरम्
आओ बच्चों तुम्हें दिखाएं
जीवन है श्रमदान की ।।

 

प्रतिभा प्रसाद कुमकुम 

साहित्यकार

 

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