तिरंगा
पले जब खौफ़ दिल में तो ,मिटेगी खाक़ फिरअपनी।
निभाओ रस्म माटी की , बचाओ साख फिर अपनी।
कभी सरहद बुलाये तो , तिरंगा बांध तुम लेना–
जमी के आखरी तल पर , बहाओ राख़ फिर अपनी।।
तभी लेंगें वतन वाले , तुम्हारा नाम दुनिया में।
निभाना फ़र्ज अपना तुम, दिखेगा काम दुनिया में।
करोगे प्राण न्यौछावर , बलायें मात फिर लेंगी–
अगर सरहद बुलाये तो, यही है धाम दुनिया में।।
अर्चना लाल
साहित्यकार
जमशेदपुर