भारतं त्वम् भारतं

 

भारतं त्वम् भारतं

विश्व का इतिहास देखो
खुद को सबके साथ देखो
सूर्य की पहली किरण से
तुमने जग को रौशनी दी
जानता है जग ये सारा
मन में मानवता भरा है
सभ्यता का सूर्य भारत
ज्ञान की नव चेतना है
प्रण-प्रतिज्ञा प्रेम-पावन
कर लो तुम प्रण-प्राण से
कल का भारत आज तुमको
फिर से सबमें देखना है
भारतं त्वम् भारतं ..

ज्ञान में जो रत वो भारत
प्रेम के पग-पग में भारत
विश्व का विश्वास भारत
वक़्त का इतिहास भारत
शौर्य का संग्राम भारत
धर्म का है धाम भारत
ज्ञान का है नाम भारत
अपनी तो पहचान भारत
आन भारत बान भारत
मान भारत शान भारत
भारतं त्वम् भारतं

भाल से जिसके हिमालय
झांकता है यों गगन को
ताल पे जिसके समंदर
नाद करते नाचते हैं झूमके
गंगा जहाँ माँ बनके
सबको सदा से तारती है
जयति जय-जय भारती
विश्व के तुम सारथि
प्रेम के तुम आरती
भारतं त्वम् भारतं

 

अरविन्द भारत
संपादक, अखण्ड भारत

बनारस

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