गांधी गुजरात का!!
ना मानी हार जो
करता गया वार वो,
बंदूक ना गोली से
प्यार की बोली से
वो संत अहिंसा का
करता रहा चमत्कार जो!!
मन में था जिसके
कुछ भी कर जाने की,
हर सांस में थी उसके
धुन आज़ादी पाने की,
लाज बचाने भारत मां की
त्याग दिया घर -बार जो,
देश पर मर मिटने को
हरदम तैयार वो!!
दम लिया जिसने
जीतकर के रण में,
हुजूम उसके पुजारियों के
जैसे हो अग्नि वन में,
दुश्मनों को घेरा
निष्ठा की लाठी से
आंक सका ना कोई
ना कद ना काठी से !!
राम – राम ही मुख पर
जिसके था अंत में,
कुछ तो था अद्भुत
उस अधनंगे संत में
आजीवन जिसने
प्रेम को ही पूजा
उस महात्मा जैसा
ना आएगा दूजा,
वो गांधी गुजरात का
मन जिसका फौलाद सा
जीत गया जो सबको
वो अपने देश का
सच्चा औलाद था!!
अर्चना रॉय
प्राचार्या सह साहित्यकार
मांडू, रामगढ़ ( झारखंड)