हम तैयार हैं

हम तैयार हैँ

सब ठीक ही चल रहा था
बस छोटे मोटे उतार – चढ़ाव थे
ज़िंदगी गुज़र रही थी
कुछ लंबे , कुछ निकट पड़ाव थे

कि अचानक सब जम सा गया
जीवन का रेला कुछ थम सा गया
सब ठिठक गये
कुछ सिहर भी गये

ये आखिर क्या हो रहा है
पृथ्वी खुलकर सांस ले रही है
पर क्या होगा आगे
ये शुबहा हो रहा है

एक अदृश्य सी शक्ति
हमें डरा रही है
जो कभी न था सोचा
वो सब करा रही है

वो जो आँखे दिखा रहा है
हमने भी नज़रें मिला ली हैँ
उसने भी त्यौरियां चढ़ा ली हैँ

जो पहले पलकें झपकाये
उसकी हार है
मगर मुझे पता है
मेरा संयम ही तो
सबसे बड़ा हथियार है

ठान लिया है मैने , बस …
अब मेरा अस्तित्व
उससे दो -दो हाथ करने को तैयार है

रेखा सिंह
मुंबई, महाराष्ट्र

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