होली
आया होली का त्योहर
घुम रही मस्तों की टोली
करे खूब धमाल हमजोली
रंगों की पिचकारी छूटी
भूल कर सारे मलाल
संग मिल हैं नाचे गाये
बजा ढोल मृदंग मन तरंग
गीत फागुनी मिल गायें
उडा़ये गुलाल लिए उमंग
पिचकारी की धार चले
सखियों हँसती हैं संग
मालपुवे की है खुशबू
गुझिये संग हैं दही बडे़
बन रहें पकवान अनेको
कहीं चढ़ रही देखिए भंग
दौड़ चली पीड़ायें कल की
फिजाओं की ये तनहाई
गीतों के तालों में डोले
मन मौसम की शहनाई
झर झर झरता खुश रंग
नाच रहें पैर लिए थिरकन
फागुन में कान्हा संग झूमें
राधारानी चूनरिया भींगें अंग
तिरछी नैना हँस मटकावे
हुए हैं चितचोर साँवरे
प्रियतमा की सुंदर मनूहार
डालूँगा जी मैं सातों रंग
मन मतवाली करती होली
बच्चे युवा बुजुर्ग के संग
लाल गुलाबी पीला हरा
नीला मुख दमकें हँसते दंत
शुभ रंगों से सजता है जीवन
होली देता है संदेश उमंग
जात धर्म भेद भाव से परे
जन हँसके गले लगाते होली
शुभ फागुन संग जीवन रंग !
डॉ आशा गुप्ता “श्रेया “