हिन्दवासी हिंदी बोलो
हम हिंद में रहने वाले हैं
हिंदुस्तानी ही कहलाते हैं
हिंदी हमारी मातृभाषा है
यह देश की राजभाषा है
राष्ट्रभाषा भी बन जाएगी
ए हिंदवासियों हिंदी बोलो
जननी जन्मभूमि ये हमारी
स्वर्ग से भी महान होती है
तीसरी माँ है ये मातृभाषा
प्रथम पूजनीय को त्याग
क्यूँ पहने विदेशी ये जामें
सबसे पहले हिंदी ही बोले
यह सहज सरल व मधुर है
झोपड़ी से महल तक जाती
संचार विचार का आधार है
देश का अभिमान पहचान है
एकता की भी ये सूत्रधार है
संस्कृत की संस्कारी बेटी है
विश्व बोलियों में तृतीय नं है
विश्व में देश का अस्तित्व है
सबने माना हमारा प्रभुत्व है
इतिहास भी इसका भव्य है
बनाती हमारा ये व्यक्तित्व है
हम सबको मिला मातृत्व है
विज्ञान पर भी खरी उतरती है
ध्वनि सिद्धांत पर आधारित है
जो सोचे वही बोले व लिखते
अपवादों में नहीं उलझाती है
व्यंजन से मिल अक्षर बनाती
अक्षरों से वाक्य बना देती है
सब भाषाएँ हिंदी की बहनें हैं
अंग्रेजी से भी नाराज़ नहीं है
सबको साथ में लेकर चलती
यह तो जन जन की भाषा है
संप्रेषक सृजनशील भाषा है
हो गया मातृभाषा का कबाड़ा
बेनियम अपवादों में उलझाया
अंकल आंटी का बड़ा झमेला
दादा-नाना,चाचा-मामा,भुआ
सबको दिया प्रथक से सम्मान
बी यू टी बट, पी यू टी पुट से
सच बेहतर हमारे किंतु परंतु
सी व के से क,सी एच से क
भ्रमित बेचारे नन्हें नौनिहाल
शी, ही हेज़,वी व दे हेव ठीक
पर आय व यू हेव की गुत्थी?
हिंदी में तेरे मेरे हमारे तुम्हारे
सबके पास-सीधा सा सवाल
निमोनिया शुरू होता है पी से
सी एच से च और एच से है ह
हिंदी में व्यंजनों से जोड़ो स्वर
और बनालो शब्दों से वाक्य
संज्ञा से लेकर सम्बोधन तक
कारक संधि अलंकार समास
गद्य पद्य की ये सकल विधाएं
पूर्ण करते साहित्य का भंडार
स्वीकारें लेखन वाचन में हिंदी
हो शुद्ध वर्तनी और उच्चारण
प्रचार प्रसार अपनी हिंदी का
तभी बनेंगे हम सब हिंदुस्तानी
सरला मेहता
इंदौर,म प्र,भारत