हिन्दी दिवस और हिन्दी
कहने को राजभाषा है हिन्दी,
भारती के भाल की सच में बिन्दी ।
न मारो माँ को अपने हाथों से,
साँसें टूटतीं पर अब तक जिन्दी ।
छंदों से करती अपना श्रृंगार,
पहनकर अद्भुत-अनुपम अलंकार ।
संगम अगनित भाषा बोलियों का,
नव रस से आप्लावित चमत्कार ।
पहचानो इसमें है अपार शक्ति,
यही सूर-मीरा-तुलसी की भक्ति ।
सवा सौ करोड़ का योग सूत्र यह,
करोड़ों हृदय की भाव अभिव्यक्ति ।
ना प्रतिद्वंद्वी, सहचरी समझो,
भारतीयता की प्रहरी समझो ।
लिखी जाती है देव नागरी में ,
बस सुसंस्कृत औ नागरी समझो ।
विश्व में हिन्दी का बढ़ रहा मान,
पढ़ाने लगे विदेशी संस्थान ।
ना करें अब और विलंब ज़रा भी,
कर दें बन्द सारी ये खींच तान ।
समय आ गया स्वधर्म निभाना है,
हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाना है ।
देश भर की मातृ भाषाओं को,
इसके द्वारा ऊपर उठाना है ।
प्रारम्भिक शिक्षा भाषा अपनी में,
ना होता भेद, भाषा- जननी में ।
आओ मिलकर हम क़सम उठायें,
भेद ना होगा, कथनी – करनी में ।
सर्व धर्म समभाव जगाना है ,
हिन्दी का महत्व समझाना है ।
राष्ट्रीयता हेतु बनाकर सेतु,
सामंजस्य हमें बैठाना है ।
जयप्रकाश अग्रवाल
काठमांडू,नेपाल।