हमारी हिन्दी

हमारी हिन्दी

हिन्दी भारत की हर श्वास है,
इक नवीन विश्व की आस है।
तन में बहता अरुण रक्त है,
हर भारतवासी इसका भक्त है।
हिंदी प्रेम-विजय की बोली,
मानवता पनपी इसकी झोली।
यही ग्रीष्म-शीत ऋतु बसंती,
माँ देवी के माथे की बिंदी।
वर्ण से शब्द, शब्द से वाक्य, हर भाव में भाषा महान है।
अभिव्यक्त नवरसों का सागर
सर्वसम्पन्न गुणों की खान है।
हिंदी वेद-मंत्र का ज्ञान है,
ऋषि-मुनियों का सम्मान है।
देव तुल्य आह्वान यज्ञ का,
उत्तुंग संस्कृति की पहचान है।
हिंदी विमल अमृत की धारा,
यह मधु से मीठी जुबान है।
यही कृष्ण और यह ही गीता,
जन-जन्य चरित्र उत्थान है।
हिंदी है दया, क्षमा और श्रद्धा,
उदार, कृपाल है बन प्रणेता।
प्रवाह पावन गंगा-यमुना सा,
इसमें बाइबिल और कुरान है।
हिंदी सदाचार की मशाल है,
दुराचार पर अस्त्र और ढाल है।
यह निशंक और यही दिवाकर,
हिंदी धरिणी की उजाल है।
हिंदी कण-कण में रचे गीत,
अक्षर-अक्षर इसका संगीत।
कर्णप्रिय मनमोहक हर स्वर,
हमारी मीत यह हमारी प्रीत।

– डॉ. आरती ‘लोकेश’
दुबई

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