हिन्दी पर अन्य भाषा का प्रभाव
अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों की संख्या बढ़ती जा रही है, जहां दिन भर में सिर्फ एक हिंदी की कक्षा होती है स्वाभाविक है कि बच्चे अंग्रेजी ही ज्यादा सुनते हैं और बोलते हैं . . इन बच्चों की जुबान पर हिगलिंश हावी हो गई है। एक भी वाक्य बिल्ला अंग्रेजी शब्द के प्रयोग के वे बोल नहीं पाते । हिंदी के निबंध लेखन में भी अंग्रेजी के शब्दों का प्रयोग सर्वमान्य होता जा रहा है । व्हाट्सएप भाषा भी हिन्दी इंग्लिश की खिचडी है और उसे मान्यता तेजी से मिल रही है । जमशेदपुर में वैसे भी अहिंदी भाषा भाषियों की संख्या अधिक होने के कारण हिंदी भाषा पर प्रभाव पड़ा है। आम लोगों द्वारा बोली गई भाषा शुद्ध हिंदी नहीं है बंगला और उड़िया का प्रभाव हिंदी पर बहुत स्पष्ट दिखता है. . 35 वर्ष पहले जब मैं जमशेदपुर आई थी तब बहुत अटपटा लगता था ‘गाड़ी पलटी हो गया’ हम बोला ‘हम गया ‘ जैसे वाक्य प्रयोग सुनकर। हिंदी ही नहीं अंग्रेजी भी अधिकांश लोग सही बोलना नहीं जानते। गलत अंग्रेजी बोल कर भी उन्हें बहुत गर्व होता है और अच्छी हिंदी बोलने में शर्म आती है. . हिंदी के सही शब्दों का सही उच्चारण के साथ प्रयोग मैं जब करती हूं तब मेरे छात्रों को सुनना अच्छा लगता है लेकिन वे बोलचाल की भाषा में सही हिंदी का प्रयोग जानबूझकर नहीं करते । घर और अड़ोस पड़ोस की भी भाषा का प्रभाव बहुत पड़ता है। हिन्दी भी इन दिनों देवनागरी लिपि में कम रोमन लिपि में अधिक लिखने का प्रचलन है । आशावादी दृष्टिकोण रखती हूँ इसलिए कहती हूँ कि बदलते रूप में ही सही हिन्दी जीवित तो है । भाषा का स्वरूप बदलता रहता है हर युग में ।इसे मरने नहीं देना है।
डॉ. जूही समर्पिता,
प्राचार्या
डी बी एम एस कालेज आफ एजुकेशन ,
जमशेदपुर,झारखंड