नमन
गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः।
गुरुरेव परंब्रह्म तस्मै श्रीगुरवे नमः।।
कहते हैं हमारा अहम और खुद की शंकाए ही हमें अपने गुरुजनों और अपनों के पास या करीब जाने से रोकती हैं। स्वतः हम इसके जिम्मेदार होते हैं। हमारे मन के अंदर का कचरा हम में इस क़दर भरा रहता हैं कि वह दूसरी अच्छी बातों को आत्मसात नही करने देता।
कहते हैं जिंदगी भी हमे सिखाती है, किताबे भी,हमारे आस पास के सभी तत्व हमे कुछ न कुछ सीख अवश्य देते हैं, बस ज़रूरत है हमे आत्मसात करने की,मन के करीब से हर तत्व से सीखने की,अच्छे लोग बहुत कुछ सीखा देते हैं पर जो हमारे आस पास बुरे व्यक्तित्व होते हैं या यूँ कहिए नकारात्मक शक्तियाँ होती है वे भी हमे बहुत कुछ सबक दे जाती है, बेशक़ थोड़ी उर्ज़ा खत्म कर देती है यह शक्तियाँ, अवसाद भी जन्म दे जाती है पर हमें हारना नही चाहिए,डटकर मुकाबला करना ज़रूरी..!!
हम मनुष्य जब विचलित होते हैं तो कुछ नही सुझता,मित्र सँगी साथी सब व्यर्थ भाव मे आजाते हैं, तब हमारी प्रथम गुरु हमारी माता औऱ दूसरे ईश्वर रूपी गुरु ही दिखते हैं, तब हम जा पहुँचते है उनके श्री चरणों में, जहां हम एक सुकूँ की सांस ले स्वयम को महफ़ूज़ कर एक इच्छाओं के भव सागर को प्राप्त कर पल भर उनके सानिध्य में आत्मसात हो जाते हैं..!
माँ स्वयम्भू गुरु है उनके होते कुछ नही,फिर भी हमे जो सशक्त मार्ग दिखा जाएँ वे ही गुरु,फ़िर वह प्रकृति हो या मनुष्य उन्हें नमन बनता है…!!
मैं भी श्री श्री के सानिध्य में हूँ
गुरूजी कहते हैं मै तुम सभी के करीब हूँ पर तुम अहम और शंकाओ में इतने ज्यादा तर हो की मै तुम्हें दिखाई नही देता। तो सुनो मन के विकारों को मेरी झोली में डालकर ईश्वर की साधना में लीन हो जाओ।।
गुरु के सानिध्य में आज नमन मन में उपजे भाव।
जय गुरुदेव।
आप सभी को गुरुपूर्णिमा की शुभकामनाएं, उन सभी मित्रो ,परिचितों को नमन करें जिन्होंने आपको सिखाया,उन्हें भी नमन जिन्होंने आपको बेशक़ विचलित किया पर एक ताकत दी लड़ने की,उन डॉक्टरों को नमन कीजिए जो आज कोविड-19में हमारी जान की परवाह कर रहें हैं, उन सभी सुरक्षा कर्मियों को नमन जो आज इस विकट स्थिति में हमारी सलामती के लिए जूझ रहे हैं..नमन उनको भी..
सुरेखा अग्रवाल