गृहस्वामिनी इंटरनेशनल सुपर अचीवर्स
नाम – शार्दुला नोगजा
उम्र – ५२ साल
शिक्षा – मास्टर्स ( कम्पयूटेशनल अभियांत्रिकी), जर्मनी; स्नातक ( इलेक्ट्रिकल अभियांत्रिकी-ऑनर्स), कोटा, राजस्थान
उपलब्धियाँ:
प्रतिष्ठित हिन्दी कवयित्री; संपादक
कविताई सिंगापुर की संस्थापक
कविता की पाठशाला की सह-संचालक
विश्वरंग महोत्सव २०२० की सिंगापुर फ़ेस्टिवल डारेक्टर
अंतराष्ट्रीय साहित्य धारा सम्मान-२०१९
तेल और उर्जा क्षेत्र में २५ साल से शीर्ष ओहदों पर कार्यरत! पिछले १५ साल से सिंगापुर में एशिया-प्रशांत का कार्यभार
२५ देशों, १०० प्रदेशों की तकनीकी सलाहकार और वक्ता की तरह कार्जनित यात्राएँ
दूरदराज़ देशी-विदेशी ऑयलफिल्डों और शिपयार्डों में तकनीकी सलाहकार की तरह काम
Enrupt की तरफ से Women in Energy Icon
एशिया प्रशांत में WomenInSTEM लीडर
आधुनिकतम IIoT स्मार्ट आयल फ़ील्ड सलाहकार
संघर्ष की कहानी:
शार्दुला सरापा आशावादी और प्रेमपगी हैं। हर संघर्ष को उन्होंने एक अवसर माना! हर छोटी-बड़ी चुनौती से सीख ली और मुस्कुराते हुए आगे बढ़ती रहीं। सच कहें तो संघर्ष कहाँ नहीं था! कॉलेज में २५० लड़कों के बीच चार लड़कियाँ हों या किसी ऑयल कान्फ्रेंस के एक्सपर्ट पैनल पर इकलौती स्त्री!
शार्दुला बताती हैं कि जब उन्होंने सिंगापुर आ कर ऑयल और गैस क्षेत्र में काम सँभाला तो उनका सबसे बड़ा सहयोगी रहा उनका नाम! महीनों ईमेल कन्सेलटेंसी करते हुए न उनके जेंडर का पता चलता, न उनके देश का! फिर जब तक लोगों को यह पता चलता कि वह एक भारतीय नारी हैं तबतक लोग उनके ज्ञान का लोहा मान चुके होते! अपनी काया से दुगने बड़े नारवीजियन, डच, अंग्रेज व्यक्तियों के साथ काम करते-करते वह अब ख़्याति प्राप्त कर चुकी हैं; पर पहले अपनी जगह बनाने के लिए दुगना-तिगना काम करना पड़ता था!
चाहे एफ पी एस ओ (FPSO) पर चढ़ने की दो सौ सीढ़ियाँ हों, या एक वैन में ठँस कर दिन भर की यात्रा करके विश्व के सबसे बड़े गैस फ़िल्ड में साईट वॉक डॉउन करना हो, उनका एक ही मंत्र रहा – “What difference I can make today?- माथे पर शिकन नहीं लानी है, भारत की लड़कियों का नाम ऊँचा रखना है!”
आप दूर देशों के उन फील्डस, दफ़्तरों, यार्डों की कहानी जान कर क्या करेंगे जहाँ स्त्रियों के लिए न के बराबर सुविधाएँ हैं, पर आपके आस-पास का समाचार यह कि हमारे स्वयं के देश में महिलाएँ जब तक सुरक्षित महसूस नहीं करेंगी तब तक अपने पूरी क्षमता से आगे न बढ़ सकेंगी!
शार्दुला ने जगत दीदी की तरह सालों एक मेंटर की तरह काम किया, फिर एशिया-प्रशांत की ‘वूमेनइन स्टेम’ लीडर की तरह तकनीकी क्षेत्र में लड़कियों को गुणवत्ता बढ़ाने और आगे बढ़ने में मदद की!
शार्दुला बचपन से हिन्दी लेखन से जुड़ी रहीं और जब १४ साल पहले ई-कविता में नियमित लिखना शुरु किया तो कुछ ही महीनों में उनका नाम पाठकों के ह्रदय में घर कर गया। साहित्यिक यात्रा जारी है। उनकी संस्था कविताई सिंगापुर और विश्व के बीच एक सेतु की तरह काम कर रही है। किताबों के बारे में पूछने पर शार्दुला कहती हैं कि वह कितने ही काव्य संग्रहों का हिस्सा हैं और कुछ की संपादक भी। पर उनके एकल काव्य संग्रह के लिए कहती हैं, “जब काम से फुर्सत होगी तब ही किताब आएगी, तब तक आप मुझे इलेक्ट्रॉनिक फ़ार्म में पढ़ें!”