मेरे पापा

मेरे पापा

कई बार जब मतलबी बनना चाहा,
मेरे पापा की परछाईं ने मुझे बनने नहीं दिया ।।

कई बार जब खुद को दोराहे पर खड़ा पाया,
मेरे पापा की सीखों ने सही राह ही चुनवाया।।

हर परिस्थिति में ढलना, हर संघर्ष से जूझना
इस लायक पापा ने ही बनाया ।।

ईमानदारी और सच्चाई के लिये डटना, लड़ना
और किसी ने नहीं, पापा ने ही सिखाया ।।

ना कोई दिखावा ना छल,
सरलता और सादगी ही है जिनका बल ,
जिनकी जरूरतें हैं बहुत थोड़ी,
अध्यात्म है जिनका असल सम्बल।।

हमारी हिम्मत हमारा अभिमान हैं वो
हमारे परिवार की शान हैं वो ।।

आपके साये में ही महफूज़ हैं हम
कभी नहीं आपसे दूर हैं हम …
आप स्वस्थ रहें आपकी छाया बनी रहे हमेशा हम पर,
हम भाई बहनों की बस यही चाह…’पापा’

डॉ निधि श्रीवास्तव
झारखंड, भारत

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