बापू
तुम्हारे वजूद से थी मेरे गुलिस्ताँ में रौनकें सारी,
तुम्हारे बगैर इस दुनिया को मै वीरान लिखती हूँ
…..बापू
सभी रिश्तों पर खुब लिखा जाता हैं माँ पर दोस्ती पर ,आज मै अपने पापा के बाते लिखूंगी, मै अपने पापा को बापू के सम्बोधन से पुकारती थी,जहाँ सब डैड कहते मै उन्हें बापू कहती
२५-२०१७अगस्त को वे मुझे अकेला छोड़ गए,आर्मी के कप्तान पद से सेवानिवृत ऑफिसर,आर्मी मेडिकल कॉर्प्स, मे दंत शल्य चिकित्सक के पद पर, सरल सीधी पर अनुशाषित जिंदगीऔर सादा जीवन उच्च विचार की जीवन शैली मे अदम्य विश्वास,रखते थे मेरे बापू,दुसरो की मद्दद को हमेशा आगे,उन्हें डरना मंजूर नही था,हम चार बहनो के बिच एक भाई,हम सबको उन्होंने निडर होकर जीना सिखाया,एक बात वो हमेशा कहते जब तक हाथ पाँव सलामत हम सलामत,काम करते रहना चाहिए, खाना किसी भी तरह और जो कोई परोसे अपमान नही करना चाहिए,और यह दो बाते मै आज भी करती हूँ,मेरो सहेलियां नही थी, वो ही मेरे सखा सहेली सब थे,शायद ये ही वजह रही की मै पुरुषो को हमेशा अच्छा दोस्त मानती रही, पापा की तरह एक बात हमेशा कहा करते थे की इतने करीब होकर भी बेटा अंतिम समय तुम्हारी मेरी भेंट सम्भव नही होगी,एक बार नही कई बार ये बात दोहराते वें, इत्तफाकन शादी दूसरे स्टेट और पापा से दूरियां बढ़ी,,बाते तो होती रहती उम्र उनकी और मेरी व्यस्तता भी बढ़ रही थी जीना सिखाने और डर से दूर रहने की बातें सिखाते मेरे बापू मुझसे अंतिम समय बिना मिले ही चले गए,लिख रही हूँ नम आँखों से और सोच रही हूँ की ऐसा क्यों उन्होंने कहा कई बार की हम तुम अंतिम समय नही मिल पाएंगे ,क्यों और किसलिए,डर से दूर रहने को और डरना नही किसीसे सिखाने वाले मेरे बापू आज मुझे बिछोह का डर हमेशा के लिए दे गए,,बापू,तुम हमेशा मेरे अंतर मन और नाभि तंत्रिका बनकर रहोगे …..नमन.. आपको 🙏🏼🙏🏼
आपकी वाटिका का प्रथम पुष्प
स्वरा
आप सभी को पितृ दवस की शुभकामनाएं